अब खांसी- जुकाम और सर्दी से भी सतर्क रहने की जरूरत: डा श्रीवास्तव

बाराबंकी । कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की एक नसीहत दी है। बीते डेढ़ साल से कोरोना नए-नए स्वरूपों के साथ ज्यादा संक्रामक हो रहा है और इसके लक्षण भी बदलते जा रहे हैं। कोरोना से उभरे लोग डेल्टा स्वरूप के शुरुआती लक्षणों से अलग अनुभव कर रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मामूली सर्दी-जुकाम वाले मरीजों को सतर्क रहने की आवश्यकता है वह भी अब कोरोना का लक्षण हो सकता है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डीके श्रीवास्तव ने बताया अक्सर देखा जाता है कि सभी इंसान विभिन्न प्रतिरक्षा तंत्र के कारण आपस में अलग-अलग हैं, जिसके कारण एक ही वायरस इंसानों में कई तरीकों से नए-नए संकेत और लक्षण पैदा कर सकता है। उनका कहना है, वायरस से होने वाली बीमारी दो अहम कारकों पर निर्भर करती है। पहला, वायरस के अपनी प्रतिकृतियां बनाने की गति और प्रसार का माध्यम। दूसरा, म्यूटेशन के कारण वायरल कारकों का बदलना। दोनों की कारणों में प्रत्येक व्यक्ति में कोरोना के भी अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते है।

डेल्टा स्वरूप में बदल रहे हैं लक्षण-

अभी तक कोरोना के सामान्य लक्षणों में बदलाव के संकेत मिले हैं। बुखार और खांसी हमेशा से कोरोना के सबसे सामान्य लक्षण रहे हैं। सिर और गले में दर्द भी पारंपरिक रूप से कुछ लोगों में दिख रहा था। लेकिन नाक बहना शुरुआती मामलों में अलग ही था। वहीं, सूंघने की क्षमता खोना बीते साल से ही प्रमुख लक्षण रहा लेकिन कोरोना के नए स्वरूप में देखा गया है कि वह अब नौंवे स्थान पर चला गया है।

मामूली सर्दी-जुकाम हो सकता है कोरोना का लक्षण-

डॉ श्रीवास्तव का कहना है, हमें डेल्टा के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने की जरूरत है। हालांकि अभी तक माना जा रहा है कि जनपद में डेल्टा स्वरूप का कोई भी मरीज नहीं मिला है लेकिन अभी तक सामने आए आंकड़े बताते हैं कि जिसे हम मामूली सर्दी-जुकाम (बहती नाक और गले में दर्द) मान रहे हैं, वह कोरोना का लक्षण भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में मरीज को घबराना नहीं है केवल सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोरोना प्रोटोकॉल के पालन, समय पर दवा व उचित इलाज से कोरोना के इस स्वरूप को भी मात दी जा सकती है।

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