देश के निर्यात में हुई बढ़ोतरी, वैश्विक संरक्षणवाद से निपटने के लिए दूरदर्शी व्यापारिक रोडमैप की आवश्यकता: आर्थिक सर्वेक्षण

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है। वित्त वर्ष 25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में देश ने (सेवाओं और वस्तुओं को मिलाकर) कुल 602.6 अरब डॉलर का निर्यात किया है, जो कि सालाना आधार पर 6 प्रतिशत अधिक है।

पेट्रोलियम और गेम एवं ज्वेलरी को छोड़कर सेवाओं और वस्तुओं के निर्यात की वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत थी। इसी अवधि के दौरान कुल आयात 682.2 अरब डॉलर रहा है। घरेलू मांग में मजबूत वृद्धि के कारण इसमें 6.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

आर्थिक सर्वेक्षण में मुताबिक, ग्लोबल ट्रेंड और अपनी क्षमताओं का फायदा उठाते हुए, भारत अपनी विकास दर को बढ़ा सकता है और ग्लोबल ट्रेड में अपनी हिस्सेदारी में भी इजाफा कर सकता है। साथ ही अपनी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने और ग्लोबल सप्लाई चेन में एकीकृत होने के लिए, देश को व्यापार से जुड़ी लागत को कम करने और निर्यात को अधिक सुविधाजनक बनाने पर फोकस करना चाहिए।

आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि पूंजी के मोर्चे पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वित्त वर्ष 25 में अब तक मिश्रित रुझान दिखाया है। हालांकि, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और एफपीआई की मुनाफावसूली के कारण पूंजी निकासी हुई है। हालांकि, मजबूत अर्थव्यवस्था और उच्च आर्थिक वृद्धि के कारण एफपीआई फ्लो सकारात्मक बनाए रखा है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, दिसंबर 2024 के अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब डॉलर था, जो सितंबर 2024 तक देश के 711.8 अरब डॉलर के लगभग 90 प्रतिशत विदेशी कर्ज को कवर करने के लिए पर्याप्त था, जो बाहरी कमजोरियों के खिलाफ एक मजबूत बफर को दर्शाता है।

सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक अनिश्चित्ता के बीच भारत की जीडीपी 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।

 

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