वंदे भारत एक्सप्रेस: सेमी हाई स्पीड लग्जरी ट्रेन में किराया दोगुने से ज्यादा

वंदे भारत एक्सप्रेस में किराया दोगुना है, जबकि रफ्तार के मामले में आम ट्रेनों के जैसी ही है। सेमी हाई स्पीड लग्जरी ट्रेन की रफ्तार 65 किमी प्रति घंटा से ऊपर नहीं बढ़ पा रही है।

देहरादून-लखनऊ और मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस की औसतन गति 65-66 किमी प्रति घंटे से ऊपर नहीं जा रही। यही स्थिति पिछले महीने से शुरू हुई अमृत भारत एक्सप्रेस की भी है। अमृत-भारत एक्सप्रेस लेटलतीफी का शिकार भी होने लगी है। सेमी हाई स्पीड का दर्जा देकर चलाई जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस का किराया अन्य ट्रेनों के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है, लेकिन रफ्तार के मामले में यह आम गाड़ियों जैसी साबित हो रही है।

देहरादून-लखनऊ वंदे भारत का संचालन मार्च और मेरठ-लखनऊ का अगस्त 2024 में शुरू हुआ था। रेलवे ने इस ट्रेन की गति 110 किमी प्रति घंटा होने का दावा किया था, लेकिन संचालन शुरू होने से अब तक यह गाड़ियां औसतन 65-66 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही यात्रा पूरी कर रही है। देहरादून-लखनऊ के बीच 545 किमी की दूरी वंदे भारत एक्सप्रेस आठ घंटे 25 मिनट में जबकि बरेली-लखनऊ के बीच की 236 किमी दूरी तीन घंटे 39 मिनट में पूरी करती है।

मेरठ-लखनऊ के वीच वंदे भारत एक्सप्रेस औसतन 64 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 459 किमी की दूरी सात घंटे 15 मिनट में तय कर रही है। अमृत-भारत एक्सप्रेस की औसत रफ्तार भी 55-60 किमी प्रति घंटे के बीच बंधी हुई है। अब यह गाड़ी लेटलतीफी का शिकार भी होने लगी है।

अन्य ट्रेनों से दोगुना है किराया
गौर करने की बात यह है कि वंदे भारत एक्सप्रेस की चेयरकार श्रेणी में बरेली-लखनऊ के बीच किराया 900 और एक्जीक्यूटिव श्रेणी में 1575 रुपये है। लखनऊ-बरेली के बीच यात्रा पूरी करने में तीन घंटे 58 मिनट का समय लेने वाली लखनऊ मेल की स्लीपर श्रेणी में यह किराया 210 रुपये, एससी तृतीय में 560, द्वितीय श्रेणी में 765 और प्रथम में 1260 रुपये है। ऐसे में यात्री वंदे भारत के स्थान पर यात्रा के लिए अन्य नियमित ट्रेनों को तवज्जो दे रहे हैं।

27 अगस्त से अयोध्या होते हुए वाराणसी तक विस्तार
संचालन शुरू होने के बाद से ही मेरठ-लखनऊ वंदे भारत एक्सप्रेस को यात्री नहीं मिल रहे थे। 50 फीसदी से ज्यादा खाली सीटों के साथ दौड़ रही इस गाड़ी को 27 अगस्त से अयोध्या होते हुए वाराणसी तक चलाया जाएगा। इस गाड़ी में सीट बुकिंग की स्थिति काफी धीमी है।

आठ कोच की ट्रेन में चेयरकार श्रेणी के सात कोच में 546 और एक्जीक्यूटिव श्रेणी के एक कोच में 52 सीटें हैं। गौर करने की बात यह है कि 27 से 31 अगस्त तक चेयरकार में 380 और एक्जीक्यूटिव श्रेणी में 22 से 35 तक सीटें खाली हैं। एक ओर जहां लखनऊ-बरेली के बीच अन्य ट्रेनों में नो रूम और वेटिंग है, दूसरी ओर दोनों वंदे भारत ट्रेनों में सीटें खाली हैं।

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