‘अक्षय-प्रभास फिल्म को अच्छी ओपनिंग दे सकते हैं’, ‘कन्नप्पा’ की कास्ट पर बोले विष्णु

एक्टर-प्रोड्यूसर विष्णु मांचू की फिल्म ‘कन्नप्पा’ इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। मुकेश कुमार सिंह के निर्देशन में बनी इस पौराणिक फिल्म में अक्षय कुमार, प्रभास और मोहनलाल जैसे बड़े एक्टर्स खास रोल में नजर आएंगे।

विष्णु ने माना कि स्टार पावर सिर्फ शुरुआती ध्यान खींच सकती है, लेकिन अंत में कंटेंट ही किंग होता है। विष्णु ने फिल्म को लेकर की और भी बात।

कन्नप्पा’ जैसे प्रोजेक्ट को करने का विचार कब और कैसे आया?
यह सफर 2014 में शुरू हुआ था। मुझे आज भी याद है जब एक राइटर मेरे घर आए और हमने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। तभी मैंने तय कर लिया था कि ये फिल्म मुझे बनानी है। इसके बाद हर स्टेज मुझे आज भी याद है। रिसर्च से लेकर अलग-अलग देशों में जाकर लोकेशन फाइनल करना। अब जब फिल्म रिलीज के करीब है, तो ये मेरी जिंदगी का खास पल है।

आपने इस फिल्म में लगभग 10 साल लगाए। बॉक्स ऑफिस को लेकर कितने नर्वस हैं?
अगर कहूं कि बॉक्स ऑफिस की परवाह नहीं है, तो वो झूठ होगा। मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक प्रार्थना है। हां, पैसा जरूरी है, लेकिन इसलिए नहीं कि अमीर बनना है, बल्कि इसलिए कि ऐसी कहानियां कह सकें जो इतिहास और विश्वास से जुड़ी हों। ‘कन्नप्पा’ उन्हीं अनकहे हीरोज की कहानी है, जो हमारे कल्चर का हिस्सा हैं लेकिन पर्दे पर कभी नहीं आए। मैं चाहता हूं कि हमारा इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं, सिनेमा में भी जिंदा रह सकता है।

अक्षय, मोहनलाल, प्रभास और काजल जैसी अलग-अलग इंडस्ट्रीज के दिग्गज अहम रोल में नजर आ रहे हैं। क्या ये पैन-इंडिया अप्रोच जानबूझकर थी?
बिलकुल, ये सिर्फ कास्टिंग नहीं थी, ये एक सोच का नतीजा था। जब मैंने फिल्म लिखना शुरू किया, तो सोचा कि अगर भाषा की कोई सीमा न हो, तो मैं किन चेहरों को इन देवताओं के रूप में देखना चाहूंगा। तभी अक्षय, प्रभास, मोहनलाल और काजल जैसे नाम सामने आए और खुशकिस्मती से वो सब इसका हिस्सा बन भी गए। इनका आना सिर्फ स्टार पावर के लिए नहीं था, बल्कि भारत की विविधता और एकता को दिखाने का एक तरीका था। यह सिर्फ एक रीजनल फिल्म नहीं, बल्कि पूरे देश की सांझा विरासत की कहानी है और उसमें हर कोने की झलक जरूरी थी।

आज के समय में स्टार पावर कितनी अहमियत रखती है? क्या फिल्म का कंटेंट ज्यादा मायने रखता है या बड़े नाम जैसे प्रभास और अक्षय कुमार?
स्टार पावर आपको सिर्फ दरवाजे तक ले जाती है। अंदर कौन टिकेगा, वो तय करता है कंटेंट। प्रभास, अक्षय कुमार जैसे नाम आपकी फिल्म को एक बड़ी ओपनिंग दे सकते हैं, ध्यान खींच सकते हैं, लेकिन अगर कहानी में दम नहीं है, तो दर्शक टिकेंगे नहीं। मैंने हमेशा यही माना है कि स्टार्स शुरुआत में दर्शकों को खींच सकते हैं, लेकिन वही दर्शक तभी लौटते हैं जब कहानी उनके दिल को छूती है। यही मेरी कोशिश रही है कि कंटेंट ही मेरा असली स्टार बने। ऑडियंस आज बहुत स्मार्ट है. उन्हें दिखावा नहीं, सच्चाई चाहिए। तो हां, स्टार पावर एक टॉर्च की तरह है, जो रोशनी देती है, लेकिन रास्ता तो कहानी ही तय करती है।

क्या ये सच है कि प्रभास और मोहनलाल ने ‘कन्नप्पा’ में बिना फीस लिए काम किया?
हां, ये बिल्कुल सच है और इसे कहते हैं सच्ची श्रद्धा। जब मैंने प्रभास और मोहनलाल सर को उनके किरदार सुनाए, उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी और बिना एक सेकंड सोचे बोले, ‘हम करेंगे’। उन्होंने कोई फीस नहीं मांगी, लेकिन मेरे लिए ये सिर्फ एक डील नहीं थी, सम्मान का मामला था। इसलिए मैंने खुद उन्हें चेक भेजा, क्योंकि जितनी इज्जत उन्होंने दी, उतनी लौटाना मेरा फर्ज था।

आज जब ऑडियंस हर तरह की नई कहानियों को एक्सप्लोर कर रही है, ऐसे में पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियों की तरफ उनका झुकाव क्यों बना हुआ है?
हमसे पूछा जाता है – ‘इतिहास पर फिर से फिल्म क्यों?’ लेकिन कोई कोरिया, जापान या चीन से ये सवाल नहीं करता, जबकि वो बार-बार अपनी संस्कृति को सिनेमा में सजाते हैं और दुनिया वाहवाही करती है। तो जब हम भारत में अपनी जड़ों से जुड़ने की कोशिश करते हैं, तो सवाल क्यों उठते हैं? यही हमारी असली पहचान है। हमारी पौराणिक कहानियां सिर्फ बीते समय की बातें नहीं, वो आज भी हमारी आत्मा से जुड़ी हैं। ‘कन्नप्पा’ जैसी फिल्में इसलिए बनती हैं ताकि इतिहास सिर्फ किताबों में न रहे, बल्कि स्क्रीन पर सांस ले।

Related Articles

Back to top button
X (Twitter)
Visit Us
Follow Me
YouTube
YouTube