
संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में रालामंडल अभ्यारण्य क्षेत्र के अंतर्गत आवासीय भूमि उपयोग हेतु तैयार किए गए नियोजन मापदंडों पर विचार करने के लिए ईको सेंसिटिव जोन समिति की बैठक आयोजित की गई। यह बैठक इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के सभाकक्ष में संपन्न हुई।
अधिकारियों की मौजूदगी में हुई अहम बैठक
बैठक में मुख्य वन संरक्षक पी.एन. मिश्रा, अपर कलेक्टर गौरव बैनल, पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता संजय कुमार, नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सुभाषीश बेनर्जी, संयुक्त कलेक्टर सुप्रिया पटेल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एस.एन. द्विवेदी, वन विभाग के एसडीओ योहन कटारा और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
‘ग्रीन कॉरिडोर’ के विकास पर जोर
संभागायुक्त दीपक सिंह ने रालामंडल अभ्यारण्य के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह क्षेत्र इंदौर जैसे महानगर के लिए ‘ऑक्सीजन बॉक्स’ के रूप में कार्य कर सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि रालामंडल की पहाड़ियों को जोड़कर ग्रीन कॉरिडोर का विकास किया जाए ताकि वन्यजीवों का आवास संरक्षित रहे और वे स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकें।
संयुक्त फील्ड विजिट के निर्देश
संभागायुक्त दीपक सिंह ने नगर एवं ग्राम निवेश, आईडीए, नगर निगम, वन विभाग, राजस्व विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे संयुक्त रूप से फील्ड विजिट कर प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर की रूपरेखा तैयार करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईको सेंसिटिव जोन से एक किलोमीटर के दायरे में सघन नगरीय विकास नहीं होना चाहिए।
पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भूमि उपयोग मापदंड
बैठक में यह भी बताया गया कि ईको सेंसिटिव जोन के तहत नियोजन मापदंडों में प्रत्येक भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर निर्धारित किया गया है। निर्माण क्षेत्र अधिकतम 15% तक सीमित रहेगा, जबकि भवन की ऊंचाई 12.5 मीटर से अधिक नहीं होगी। साथ ही कम से कम 10% क्षेत्र खुला रखना अनिवार्य होगा। इन नियमों का उद्देश्य क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना और विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।