गोवर्धन मंदिर पहुंचे पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव

जेल से रिहाई के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए राजबल्लभ यादव ने नवादा पहुंचते ही सबसे पहले गोवर्धन मंदिर में दर्शन किए। उनके साथ उनकी पत्नी और राजद विधायक विभा देवी, भतीजे एवं एमएलसी अशोक यादव भी मौजूद रहे।

नवादा जिले के प्रसिद्ध गोवर्धन मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी तो मंदिर भजन-कीर्तन और सजावट से पूरी तरह भक्तिमय माहौल में डूबा रहा। लेकिन इस धार्मिक आयोजन में पूर्व श्रम राज्य मंत्री और राजद नेता राजबल्लभ यादव की मौजूदगी ने इसे सियासी रंग भी दे दिया।

जेल से रिहाई के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए राजबल्लभ यादव ने नवादा पहुंचते ही सबसे पहले गोवर्धन मंदिर में दर्शन किए। उनके साथ उनकी पत्नी और राजद विधायक विभा देवी, भतीजे एवं एमएलसी अशोक यादव भी मौजूद रहे। सभी ने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और भगवान राधे-कृष्ण का आशीर्वाद लिया। मंदिर परिसर को दक्षिण भारतीय शैली में भव्य रूप से सजाया गया था। वहीं, मथुरा-वृंदावन से आए कलाकारों ने भजन-कीर्तन प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।

सियासी रंग में डूबा पर्व
राजबल्लभ यादव की मंदिर उपस्थिति को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। खासकर तब, जब गोविंदपुर विधायक मो. कामरान भी मंदिर पहुंचे और दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी से मुलाकात हुई। इस मौके पर राजद के कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। ऐसे में नवादा की राजनीति में नए समीकरणों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। राजबल्लभ यादव जहां लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं, वहीं मो. कामरान तेजस्वी यादव के विश्वासपात्र नेताओं की सूची में गिने जाते हैं। ऐसे में दोनों की मुलाकात ने राजनीतिक हलचल और तेज कर दी है।

सवाल उठ रहा है कि राजबल्लभ यादव अब आगे क्या कदम उठाएंगे। क्या वे राजद में सक्रिय रहेंगे या किसी नए राजनीतिक दल का दामन थामेंगे? यह भी कहा जा रहा है कि नवादा राजद की राजनीति पहले से ही पूर्व विधायक कौशल यादव, पूर्णिमा यादव और पूर्व विधान पार्षद सलमान रागीब जैसे नेताओं की वजह से गुटबाजी में उलझी हुई है। राजबल्लभ यादव की सक्रियता से स्थानीय राजनीति में हलचल मच गई है। अब देखना होगा कि राजद नेतृत्व इस बदलते समीकरण को किस तरह संभालता है।

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