
दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2020 में कोराना महामारी के दौरान तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए विदेशियों को शरण देने के आरोप में 70 भारतीयों पर दर्ज 16 मामलों को रद्द कर दिया।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने बृहस्पतिवार को पुलिस के आरोपपत्र को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने उन पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। दिल्ली पुलिस ने मार्च 2020 के सम्मेलन में शामिल विदेशी मेहमानों को आश्रय देने के लिए दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिकाओं का विरोध किया था।
पुलिस ने कहा था कि आरोपी स्थानीय निवासियों ने निजामुद्दीन मरकज में आए मेहमानों को आश्रय दिया, जो कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन था। कुछ एफआईआर में नामित विदेशी नागरिकों ने या तो दोष स्वीकार कर अपने देश वापस जाने का विकल्प चुना या पहले ही बरी हो चुके हैं।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि न तो एफआईआर में और न ही आरोपपत्र में कोई दस्तावेजी सबूत है जो यह दर्शाए कि वे कोरोना संक्रमित थे। इसलिए उन पर 1897 के महामारी रोग अधिनियम के तहत बीमारी फैलाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।