
याचिकाकर्ता राम चंद्र भारद्वाज ने अपनी याचिका में कहा कि नरेला के सेक्शन ए-10 में 84 बीघा क्षेत्रफल में फैला एक ऐतिहासिक जल निकाय है। आवेदक का आरोप है कि उपरोक्त जल निकाय पर अतिक्रमण किया गया है और इसे पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
नरेला स्थित एक ऐतिहासिक जल निकाय पर अतिक्रमण कर लिया गया है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। इस मामले से जुड़ी एक याचिका राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को मिली है।
याचिकाकर्ता राम चंद्र भारद्वाज ने अपनी याचिका में कहा कि नरेला के सेक्शन ए-10 में 84 बीघा क्षेत्रफल में फैला एक ऐतिहासिक जल निकाय है। आवेदक की दलील है कि इस जल निकाय का निर्माण चांद नामक राजा ने करवाया था और इसका उपयोग जल में खेल खेलने के लिए किया जाता था। 19 मई को मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है।
ऐसे में अदालत ने दिल्ली सरकार समेत अन्य दूसरे प्रतिवादियों को ई-फाइलिंग के माध्यम से सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर से कम से कम एक सप्ताह पहले जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। पीठ ने कहा कि यदि कोई प्रतिवादी अपने वकील के माध्यम से जवाब दाखिल किए बिना सीधे जवाब दाखिल करता है तो उक्त प्रतिवादी अधिकरण की सहायता के लिए वस्तुतः उपस्थित रहेगा। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद भी शामिल रहें।
जल निकाय का रिकॉर्ड राजस्व विभाग में भी उपलब्ध
सुनवाई के दौरान आवेदक के वकील संदीप भारद्वाज ने कहा कि यह एक जल निकाय है। इसके लिए उन्होंने राजस्व रिकॉर्ड का हवाला दिया। आवेदक का आरोप है कि उपरोक्त जल निकाय पर अतिक्रमण किया गया है और इसे पुनर्जीवित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। इस दलील के समर्थन में आवेदक ने एक मीडिया रिपोर्ट भी दाखिल की है।