देश में बढ़ गई थोक महंगाई की दर, 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुंची, सरकार ने जारी किए आंकड़े

Wholesale Inflation Rises सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार भारत की थोक मुद्रास्फीति अगस्त में फिर से सकारात्मक दायरे में आ गई और चार महीने के उच्चतम स्तर 0.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 25 महीने के निचले स्तर -0.58 प्रतिशत पर आ गया था।

रिटेल महंगाई के बाद थोक महंगाई दर भी अगस्त के महीने में बढ़ गई है। 15 सितंबर को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मुद्रास्फीति अगस्त में फिर से सकारात्मक दायरे में आ गई और चार महीने के उच्चतम स्तर 0.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 25 महीने के निचले स्तर -0.58 प्रतिशत पर आ गया था।

इससे पहले रिटेल महंगाई की दर भी अगस्त में बढ़कर 2.07 प्रतिशत रही थी, जबकि पिछले महीने यह आठ वर्षों के निम्नतम स्तर 1.61 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

GST दरों में कटौती से और कम होगी महंगाई
इससे पहले रिटेल फूड इंफ्लेशन की दर लगातार तीसरे महीने नकारात्मक रही। उधर, अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 22 सितंबर से जीएसटी दरों में कटौती लागू होने के बाद कीमतों में और गिरावट आएगी। जीएसटी परिषद ने इस महीने की शुरुआत में दो-दर संरचना को मंजूरी दी थी, जिससे 90 प्रतिशत वस्तुओं को लोअर टैक्स कैटेगरी में ट्रांसफर कर दिया गया।

इससे पहले अगस्त में सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) यानी खुदरा महंगाई की दरों में खाने-पीने की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी के कारण 2.07% तक पहुंच गई थी। हालांकि, यह लगातार दसवें महीने आरबीआई के सहनशीलता बैंड के अंदर रही।

अगस्त में खाद्य पदार्थों की कीमतों में 0.69% की गिरावट आई, जबकि जुलाई में 1.76% की गिरावट आई थी, जबकि सब्जियों की कीमतों में 15.92% की गिरावट आई, जबकि पिछले महीने 20.69% की गिरावट आई थी।

चिंता की बात है कि खाद्य पदार्थों की कीमतो में आगे भी बढ़ोतरी रहने का अनुमान है, क्योंकि अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश और सितंबर में भी इस सिलसिले के जारी रहने से चावल, कपास, सोयाबीन और दालों जैसी गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान हो सकता है।

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