पीएम मोदी और पुतिन की खास मुलाकात, हाथ मिलाया, गले लगकर जताया आभार

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंच से सोमवार को एक बेहद ताकतवर तस्वीर सामने आई। इस तस्वीर ने एक ओर अमेरिका के मनमाने टैरिफ के रवैये को आईना दिखाया तो दूसरी ओर दुनिया को बताया कि भारत के पास डोनाल्ड ट्रंप की हर रणनीति का काट है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र से पहले कुछ समय साथ बिताया। इस दौरान तीनों ही नेता एक-दूसरे से हल्के फुल्के अंदाज में हंसी मजाक करते नजर आए। इस दौरान तीनों नेता हंसी ठहाके लगाते दिखाई दिए। इसके बाद पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक साथ मंच की ओर चले गए। इस दौरान दोनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने से निकले, जो पहले से ही मंच पर फोटो सेशन के लिए खड़े थे। इस दौरान शहबाज की नजरें पीएम मोदी और पुतिन पर ही टिकी हुई थीं। उनके चेहरे से बेबसी के भाव साफ जाहिर हो रहे थे।

राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने एक-दूसरे का गले लगाकर गर्मजोशी से अभिवादन किया। इसके बाद वे एससीओ सदस्यों की पारिवारिक फोटो के लिए मंच की ओर बढ़े। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह मुलाकात उनकी द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई, जो पूर्ण सत्र के बाद होने वाली है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ नेताओं के शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने अक्तूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर कजान में हुई अपनी पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति और निरंतर प्रगति का स्वागत किया।

दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए। उन्होंने भारत और चीन के बीच आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित एक स्थिर संबंध और सहयोग का आह्वान किया। दोनों ही नेता इस बात एकमत हुए कि दोनों देशों के अच्छे संबंध विकास और प्रगति के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप एक बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया के लिए आवश्यक है।

एससीओ में 10 सदस्य हैं। इसमें भारत के अलावा बेलारूस, चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसके अलावा कई संवाद साझेदार और पर्यवेक्षक भी हैं। भारत 2017 से एससीओ का सदस्य है और 2005 से पर्यवेक्षक रहा है। अपनी सदस्यता अवधि के दौरान भारत ने 2020 में एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद और 2022 से 2023 तक एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की अध्यक्षता की थी

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