
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समुद्र तल के नीचे मौजूद तेल और गैस भंडारों की खोज के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय गहरे जल अन्वेषण मिशन का एलान किया। यह मिशन घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और देश के अरबों डॉलर के आयात बिल को कम करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।
भारत अपनी कच्चे तेल की 88 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। जिसे पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में परिवर्तित किया जाता है। प्राकृतिक गैस की जरूरत का लगभग आधा हिस्सा भी आयात से पूरा किया जाता है। जिसका उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण और वाहनों के लिए सीएनजी बनाने में होता है।
उच्च आयात निर्भरता का एक कारण यह है कि देश में आसानी से मिलने वाले तेल-गैस के भंडार कम हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज का केजी-डी6 (KG-D6) और ओएनजीसी का केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 (KG-DWN-98/2) जैसे बड़े तेल-गैस भंडार, 2014 से पहले गहरे समुद्र क्षेत्रों में खोजे गए थे।
‘सरकार अब देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है’
पीएम मोदी ने कहा कि पेट्रोल, डीजल, गैस और इस तरह के संसाधनों के आयात पर बजट का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च होता है… लाखों करोड़ रुपये इसमें जाते हैं। अगर हम ऊर्जा के लिए आयात पर निर्भर न होते तो यह पैसा गरीबी खत्म करने, किसानों के कल्याण और गांवों की स्थिति सुधारने में इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन हमें इसे विदेशों को भेजना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार अब देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने कहा, भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हम अब समुद्र मंथन के एक नए चरण की शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए हमारा लक्ष्य समुद्र तल के नीचे तेल और गैस भंडारों की खोज और अन्वेषण के लिए मिशन मोड में काम करना है। इसीलिए भारत राष्ट्रीय गहरे जल अन्वेषण मिशन शुरू कर रहा है। जो ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंडमान-निकोबार बेसिन में हो सकते हैं बड़े तेल रिजर्व
तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए ओआरडी संशोधन अधिनियम जैसे कानून सहित कई प्रमुख सुधार लागू किए गए हैं।उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 52 खोजें हुई हैं और 2014 के बाद से अब तक कुल 172 खोजें हुई हैं, जिनमें 66 ऑफशोर शामिल हैं। अन्वेषण के लिए 3.8 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र आवंटित किया गया है, जबकि 2009 से 2014 के बीच यह आंकड़ा 82,327 वर्ग किलोमीटर था।
हाल ही में लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्रों को अन्वेषण के लिए खोलकर नीलामी के लिए खोले गए हैं। इनमें अंडमान-निकोबार बेसिन जैसे नए गहरे पानी के फ्रंटियर शामिल हैं। अंडमान समुद्र, खासकर आंध्र तट और अंडमान सागर के गहरे पानी वाले क्षेत्र, संभावनाओं से भरे हो सकते हैं।