भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो क्या होगा, एक दिन में ₹561513600 का नुकसान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा, पर विदेश मंत्रालय ने इस पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करने पर प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत ने रियायती दरों पर तेल खरीदकर अरबों डॉलर बचाए हैं। रूसी तेल बंद होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं तब से टैरिफ वाला गेम चालू है। टैरिफ की वजह से बीते 6 महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बड़े बदलाव भी देखने को मिले है। इन बदलावों से भारत भी नहीं बच पाया। अमेरिका ने इस समय भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगा रखा है। भारत को लेकर रोज नए-नए बयान देते रहते हैं। ट्रंप ने बुधवार को दावा किया कि कि भारत रूस से तेल खरीदना “बंद” करने के लिए सहमत हो गया है और साल के आखिर तक इसे “लगभग न के बराबर” कर देगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक प्रोसेस है और इसमें कुछ समय लगेगा।

वहीं, इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “बदलते एनर्जी हालात में भारतीय कंज्यूमर के हितों की रक्षा करना सरकार की लगातार प्राथमिकता बनी हुई है।” लेकिन यह साफ नहीं किया कि भारत रूस से खरीदारी बंद करेगा या जारी रखेगा।

यह बयान तब आया जब अमेरिका ने दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर बैन लगा दिया और मॉस्को से तुरंत सीजफायर की मांग की। अगर भारत रूस से कच्चा तेल इंपोर्ट करना बंद कर देता है, जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है, जिन्होंने हाल ही में रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर “भारी प्रतिबंध” लगाने की धमकी दी थी, तो भारत को इससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अगर भारत सच में रूस से तेल आयात करना बंद कर दे तो हिंदुस्तान पर इसका क्या असर पड़ सकता है। आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

भारत को हर दिन हो सकता है $3.2 मिलियन से $6.4 मिलियन का नुकसान

फॉर्च्यून इंडिया ने इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देते है तो उसे प्रति दिन लगभग $3.2 मिलियन (28,08,94,720 रुपये) से $6.4 मिलियन (56,17,89,440 रुपये) का आर्थिक नुकसान हो सकता है।

भारत और चीन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की सेकेंडरी सैंक्शन की धमकियों का लगातार विरोध कर रहे हैं। ये सैंक्शन किसी सैंक्शन वाले देश के साथ बिजनेस करने पर लगाए जाते हैं। ये दोनों देश रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं। अमेरिका का मानना है कि इससे रूस को आमदनी होती जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के साथ युद्ध में कर रहा है।

ऑयल और गैस सेक्टर के एक्सपर्ट्स ने फॉर्च्यून इंडिया को बताया कि भारत अभी हर दिन 1.6-1.7 मिलियन बैरल रूसी तेल इंपोर्ट करता है, जो देश के कुल कच्चे तेल इंपोर्ट का लगभग 30% है। यह किसी भी एक देश से सबसे ज्यादा है। पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण, इंडियन ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs), जिनमें इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HP) शामिल हैं। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्राइवेट रिफाइनरियां भी, रोसनेफ्ट या लुकोइल जैसे प्रोड्यूसर्स से सीधे खरीदने के बजाय रूसी बिचौलियों के जरिए कच्चा तेल खरीद रही हैं।

भारत एक दिन में कितना तेल रूस से खरीदता है

DW की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की रूस से तेल खरीद 2021 से 2024 तक लगभग 19 गुना बढ़ गई, जो 0.1 मिलियन बैरल प्रतिदिन से बढ़कर 1.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई, जबकि चीन की खरीद 50% बढ़कर 2.4 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई।

भारत की कुल रिफाइनिंग जरूरत लगभग 5.4 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) है। ONGC, ऑयल इंडिया, रिलायंस इंडस्ट्रीज और केयर्न इंडिया के नेतृत्व में घरेलू प्रोडक्शन, डिमांड का सिर्फ 13-14% ही पूरा करता है, जिससे लगभग 86% जरूरत इंपोर्ट से पूरी करनी पड़ती है।

डॉलर नहीं इस करेंसी में तय होती है रूसी तेल की कीमत

रूस अपने कच्चे तेल की कीमत यूराल्स के हिसाब से तय करता है। यूराल्स, यूराल और वोल्गा इलाकों के भारी, खट्टे तेल और पश्चिमी साइबेरिया के हल्के ग्रेड के तेल का मिक्सचर है। यूराल्स की कीमत आमतौर पर ब्रेंट से कम होती है, जो अटलांटिक बेसिन के कच्चे तेल का ग्लोबल बेंचमार्क है। यह डिस्काउंट भारत के लिए कॉस्ट एडवांटेज का मुख्य कारण रहा है। रूसी बैरल ने हाल ही में $2–4 प्रति बैरल की बचत दी है, जो यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद मॉस्को द्वारा भारी डिस्काउंट देना शुरू करने पर $10 प्रति बैरल से कम है।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

नई दिल्ली स्थित ऊर्जा शोध संस्थान कप्लर में तेल विश्लेषक, सुमित रितोलिया ने DW से कहा, “अगर भारत ने 2022 में रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदा होता, तो तेल की कीमत कितनी बढ़ सकती है। इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है-100 डॉलर, 120 डॉलर, या शायद 300 डॉलर प्रति बैरल तक भी कीमतें बढ़ सकती थी।”

लिथुआनिया में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के एनर्जी एनालिस्ट पेट्रास कैटिनास के मुताबिक भारत, जो रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है, उसने 2022 और 2024 के बीच एनर्जी कॉस्ट में $33 बिलियन तक की बचत की है, क्योंकि मॉस्को ने तब बड़ी कीमत में कटौती की पेशकश की जब अमेरिका और यूरोप ने रूसी तेल और गैस पर अपनी निर्भरता कम कर दी थी।

कैटिनास ने कहा कि अमेरिका, रूस और चीन के साथ संबंधों को बैलेंस करने की भारत की पुरानी पॉलिसी, जिसमें किसी भी तरफ को प्राथमिकता नहीं दी जाती, उसी के आधार पर रियायती रूसी कच्चे तेल को खरीदने का फैसला लिया गया था, जिसमें नई दिल्ली ने “एनर्जी सिक्योरिटी और अफोर्डेबिलिटी को प्राथमिकता दी।”

पेट्रोल और डीजल की कीमतें हो सकती हैं महंगी?

अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि भारत को दूसरे सोर्स से ज्यादा महंगा तेल इंपोर्ट करना पड़ेगा, और ग्लोबल मार्केट में रुकावट से दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारत की लागत पर भी असर पड़ेगा। भारत अभी रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदता है। ये खरीदारी बंद करने का मतलब होगा कि सभी तेल इंपोर्ट के लिए अधिक, मार्केट प्राइस देना होगा। कच्चे तेल की ज्यादा कीमत से रिफाइनिंग की लागत भी बढ़ेगी, जिसका बोझ पंप पर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

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