जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. आतंक के पनाहगार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत कई तरह के कदम उठा रहा है. कूटनीति से लेकर आर्थिक मोर्चे तक हर कदम पर पाकिस्तान और आतंकियों की कमर तोड़ी जा रही है. इस बीच भारत सरकार का सबसे बड़ा फैसला सामने आया है. दरअसल पाकिस्तान से बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंकाओं के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई को एक समन्वित ‘मॉक ड्रिल’ आयोजित करने का निर्देश दिया है. इस दौरान आपके शहर में भी युद्ध के सायरन बज सकते हैं. ऐसे में आपको क्या करना है और ये युद्ध का सायरन कैसे बजेगा इससे जुड़े हर सवाल का जवाब जानिए इस लेख में.
क्यों बजाया जा रहा है युद्ध का सायरन
इस अभ्यास (Mock Drill) का उद्देश्य देशवासियों को युद्ध जैसे आपात हालात में सतर्कता, त्वरित प्रतिक्रिया और आत्म-सुरक्षा के लिए तैयार करना है. गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए आधिकारिक परिपत्र के अनुसार, मॉक ड्रिल में युद्ध चेतावनी सायरन का संचालन, नागरिकों को सुरक्षा उपायों की जानकारी देना और बंकरों व खाइयों की सफाई जैसे प्रमुख कदम शामिल होंगे. यह अभ्यास वास्तविक आपात स्थिति की तैयारी के तौर पर किया जा रहा है, जिससे आम जनता को यह समझने में मदद मिले कि सायरन बजने पर उन्हें क्या करना चाहिए.
कहां- कहां बजेगा युद्ध का सायरन
बता दें कि यह जंग की चेतावनी वाला सायरन बेहद तेज और कंपन युक्त आवाज़ में बजता है, जिसकी तीव्रता 120 से 140 डेसिबल होती है और यह 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तक सुनाई दे सकता है. इसकी आवाज आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज से अलग होती है. यह सायरन आमतौर पर प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालयों, फायर स्टेशनों, सैन्य ठिकानों, भीड़भाड़ वाले स्थानों और संवेदनशील इलाकों में लगाया जाता है.
कब-कब बज चुका है जंग का सायरन
बता दें कि युद्ध का सायरन भारत में चार बार बज चुका है. इतिहास के पन्नों को पलटें तो इस तरह के सायरन का प्रयोग 1962 के चीन युद्ध के दौरान देखने को मिला था. इसके तीन वर्ष बाद यानी 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के मौके पर भी यह सायरन बजा इसके बाद 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इस सायरन का इस्तेमाल कुछ जगहों पर हुआ था. हालांकि पूरे देश में आखिरी बार 1971 में ही युद्ध का सायरन बजा था.
मॉक ड्रिल के दौरान आपको क्या करना होगा?
ड्रिल के दौरान जैसे ही सायरन बजेगा, नागरिकों को तुरंत खुले स्थानों से हटकर नजदीकी सुरक्षित इमारतों, बंकरों या तहखानों में जाना होगा. पैनिक से बचना और शांति से निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होगा. सरकारी रेडियो, टीवी या अलर्ट सिस्टम से मिली जानकारी पर ध्यान देना और अफवाहों से दूर रहना जरूरी है. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को यह सिखाना है कि कैसे 5 से 10 मिनट के भीतर सुरक्षित स्थान तक पहुंचा जाए और संकट के समय में संयम कैसे रखा जाए. इस अभ्यास से आपातकालीन स्थितियों में लोगों की प्रतिक्रिया क्षमता को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
क्यों है यह अभ्यास जरूरी?
आधुनिक समय में खतरे सिर्फ पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं हैं. हवाई हमले, ड्रोन स्ट्राइक या साइबर हमलों जैसी जटिल परिस्थितियों में आम नागरिकों की सतर्कता और प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह मॉक ड्रिल न सिर्फ उन्हें तैयार करेगी, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की तैयारियों का भी परीक्षण करेगी.
अफवाहों से बचें और पैनिक न हों
इस दौरान सबसे ज्यादा जरूरी जो बात है वह है अफवाहों से बचना. ये मॉक ड्रिल सिर्फ लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से आयोजित की जा रही है और इसे आपात स्थिति में किसी भी तरह पैनिक न हों. अफवाहों से बचें क्योंकि ऐसे वक्त पर कुछ तरह के असामाजिक तत्व अफवाहें फैलाकर आपको परेशान कर सकते हैं.