मी टू और एमजे अकबर : दयानंद पांडेय

लखनऊ : मी टू को ले कर एम जे अकबर का लोग ख़ूब मज़ा ले रहे हैं । जानने वाले जानते हैं कि एम जे अकबर औरतों के बाबत मुग़लकाल के शासक अकबर से ज़रा भी कम नहीं रहे हैं । खुशवंत सिंह के शिष्य रहे पैतीस साल की कम उम्र में संडे जैसी पत्रिका के संपादक बन जाने वाले एम जे अकबर से जुड़ी औरतों की एक लंबी फेहरिस्त है ।

तमाम नामी महिला पत्रकार अकबर से जुड़ कर फख्र महसूस करती रही हैं । अकबर की करीबी रही मशहूर पत्रकार सीमा मुस्तफ़ा तो जैसे एक समय अकबर के लिए ही जीती थीं । लेकिन ऐसा नहीं कि सीमा मुस्तफ़ा सिर्फ़ अकबर की दीवार में कैद थीं । एक समय पाकिस्तान क्रिकेट टीम भारत आई थी । तब सीमा मुस्तफ़ा इंडियन एक्सप्रेस में थीं और सीमा ने इमरान खान का इंटरव्यू लिया । इंटरव्यू में सीमा मुस्तफ़ा ने लिखा था कि इमरान खान ने कहा कि बिना हमबिस्तरी किए मैं इंटरव्यू नहीं देता । और मैं इंटरव्यू ले आई ।

यह सब इंडियन एक्सप्रेस में तब छपा और इंटरव्यू से ज़्यादा इस प्रसंग की चर्चा हुई थी तब । क्या यह भी मी टू था ? एम जे अकबर आज की तारीख में भले भाजपा में हैं , केंद्र सरकार में विदेश राज्य मंत्री भी हैं लेकिन एक समय अकबर जबर सेक्यूलर हुआ करते थे और कि जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर बिहार से सांसद भी रहे हैं । अकबर की ही तरह सीमा मुस्तफ़ा ने भी एक बार उत्तर प्रदेश से लोक सभा चुनाव लड़ा था पर हार गईं ।

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