
युवाओं की सोच को साकार करने में सबसे आगे स्टार्टअप्स के लिए बड़ी योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत स्टार्टअप मिशन का गठन कर प्रत्येक जिले में कम से कम 500 स्टार्टअप्स तैयार किए जाएंगे, जो उस जिले की पहचान से जुड़े होंगे। इससे युवाओं को उनके जिले में रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
पहले चरण में करीब 35 हजार नए स्टार्टअप बनेंगे, जो क्षेत्रीय विशेषताओं पर आधारित होंगे। आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग इस योजना पर काम कर रहा है, जिसे जल्द लागू किया जाएगा। स्टार्टअप मिशन का उद्देश्य एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की तर्ज पर हर जिले में स्टार्टअप्स की श्रृंखला तैयार करना है। इसमें उन स्टार्टअप्स को तरजीह दी जाएगी, जो जिले की पहचान से जुड़े उत्पादों, जीआई टैग या वहां के औद्योगिक स्वरूप पर आधारित होंगे। इसका सर्वाधिक लाभ छोटे कारीगरों को होगा, जिन्हें स्टार्टअप के माध्यम से ग्लोबल प्लेटफार्म और फंडिंग मिलेगी।
ऐसे में आर्थिक विकास केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि छोटे-छोटे कस्बों तक जाएगा। योजना के तहत कानपुर, लखनऊ, अयोध्या वाराणसी, गोरखपुर जैसे जिलों को भी आईटी के औद्योगिक क्षेत्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
यूपी में 15000 स्टार्टअप 50 हजार का लक्ष्य
विभाग के मुताबिक प्रदेश में लगभग 15 हजार स्टार्टअप पंजीकृत हैं। गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ये लगभग 27 हजार है। 70 इन्क्यूबेटरों की सरकारी मदद की जा रही है, लेकिन ये सभी जिलों में नहीं हैं। अब प्रत्येक जिले में एक इन्क्यूबेटर का लक्ष्य रखा गया है। इस मिशन में स्टार्टअप सेक्टर के विशेषज्ञ होंगे। अभी स्टार्टअप विभाग की कमान ब्यूरोक्रेट्स के हाथों में हैं।
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा का कहना है कि जिलों में ही युवाओं को रोजगार देने के लिए स्टार्टअप मिशन का गठन किया जाएगा। इसका उद्देश्य जिले की पहचान से जुड़े उत्पादों या विशिष्टताओं पर आधारित स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना है। एक जिले में कम से कम 500 स्टार्टअप का लक्ष्य है।
यूपी स्टार्टअप नीति के बाद मिशन स्टार्टअप
उत्तर प्रदेश सरकार की स्टार्टअप नीति, 2020 (पहला संशोधन, 2022) का उद्देश्य राज्य में 10,000 स्टार्टअप्स का निर्माण करना है। प्रत्येक जिले में कम से कम एक इनक्यूबेटर स्थापित करना दर से एक साल तक भत्ता दिया जाता है। सफल पेटेंट दाखिल करने पर भारतीय पेटेंट के लिए दो लाख रुपये तक और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए 10 लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति की जाती है। सीड कैपिटल/मार्केटिंग सहायता के रूप में 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक मिलते हैं। महिलाओं, दिव्यांगों, ट्रांसजेंडर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों द्वारा स्थापित स्टार्टअप्स को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाता है।