योग और प्राणायाम में होता है अंतर, एक का संबंध शारीरिक व्यायाम से तो दूसरे का मन से

नई दिल्ली। आमतौर पर हम योग और प्राणायाम को एक लड़ी में पिरो देते हैं। मतलब योग को ही प्राणायाम कह देते हैं लेकिन इनमें बारीक सा अंतर होता है। कह सकते हैं कि एक सिक्के के दो पहलू हैं ये।

बिजी शेड्यूल में लोग ज्यादा समय शरीर को स्ट्रेच करने की बजाय चुपचाप बैठकर श्वसन क्रिया पर ध्यान केंद्रित करते हैं और यही प्राणायाम है। संस्कृत शब्द प्राण और आयाम से लिया गया है। दोनों शब्द संस्कृत मूल के हैं। प्राण का अर्थ होता है श्वसन या सांस तो वहीं आयाम का अर्थ नियंत्रण है। तो इसलिए प्राणायाम का अर्थ है सांस लेने का नियमन।

योग एक शारीरिक व्यायाम है जिसमें प्रवाह के क्रम से जुड़े आसन शामिल हैं। योग का शाब्दिक अर्थ- जुड़ना या जोड़ना होता है। योग आमतौर पर सांस लेने के व्यायाम संग होता है। इसका समापन विश्राम, लेटने और ध्यान से होता है।

वहीं, प्राणायाम श्वास पर ध्यान केंद्रित करने के योग अभ्यास को दर्शाता है। प्राणायाम का मूल अर्थ जीवन ऊर्जा को ऊपर उठाना है। ये प्रमुख हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में अपना स्थान पाता है, जिसमें भगवद गीता और पतंजलि के योगसूत्र भी शामिल हैं। प्राणायाम अपना स्थान हठ योग ग्रंथों में भी पाता है।

योग एक प्रकार का व्यायाम है, जो शरीर को लचीला बनाने का काम करता है। प्राणायाम से पहले योग किया जाता है, जिससे प्राणायाम सही प्रकार से किया जा सकता है। पतंजलि के योगसूत्र बताते हैं कि योग अस्थमा जैसी बीमारियों को रोकने या उनसे पार पाने में कारगर है तो वहीं, प्राणायाम हृदय गति और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

अब बात इनके फायदों की। एक से शरीर लचीला बनाता है तो दूजे से मन-मस्तिष्क को सुकून मिलता है। अतिरिक्त चर्बी को कम करने में योग का कोई सानी नहीं, वहीं प्राणायाम कफ विकार को भी कम करता है। योग शरीर का तो प्राणायाम दिल का ख्याल रखता है। एक बात जो दोनों में समान है वो ये कि दोनों ही इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

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