शेख हसीना पर आज फैसला सुनाएगा ICT, ढाका समेत कई शहरों में हाई अलर्ट

बांग्लादेश में स्पेशल ट्रिब्यूनल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता अपराधों पर फैसला सुनाएगा। हसीना पर 2024 में सरकार विरोधी आंदोलनों को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों को हिंसक आदेश देने का आरोप है। सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और अभियोजक ने हसीना को मृत्युदंड देने की मांग की है। वर्तमान में, शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं।

बांग्लादेश में सोमवार को स्पेशल ट्रिब्यूनल मानवता के खिलाफ अपराधों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए फैसला देगा। इसके मद्देनजर राजधानी ढाका समेत देश के सभी बड़े शहरों और प्रमुख स्थानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

हसीना पर 2024 में सरकार विरोधी आंदोलनों को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों को हिंसक तरीके अपनाने का आदेश देने का आरोप है। बांग्लादेश के कार्यकारी गृह मंत्री जहांगीर आलम चौधरी ने कहा है कि सुरक्षा बलों और अन्य एजेंसियों को किसी भी अप्रिय वारदात से निपटने के लिए तैनात किया गया है।

शेख हसीना समेत इन लोगों पर लगे आरोप

शेख हसीना, उनकी सरकार के गृह मंत्री असदुज्जमां खान और उस समय के पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पांच आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप है। इन अपराधों में हत्या, हत्या की कोशिश, उत्पीड़न और अन्य अमानवीय कृत्य हैं। ट्रिब्यूनल ने हसीना और असदुज्जमां खान की गैरमौजूदगी में मामलों की सुनवाई की है। जबकि अब्दुल्ला अल-मामून सुनवाई में शामिल हुए और सरकारी गवाह बन गए हैं।

शेख हसीना को मृत्यु दंड देने की मांग

सुनवाई में उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार के निर्देश पर पुलिस बल ने कार्रवाई की थी। मुख्य लोक अभियोजक मुहम्मद ताजुल इस्लाम ने इन जघन्य अपराधों के लिए शेख हसीना को मृत्युदंड देने की मांग की है। सुनवाई में हसीना को अपराधों का मुख्य कर्ताधर्ता बताया गया है। जबकि हसीना के समर्थकों का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।

उल्लेखनीय है कि 78 वर्षीय शेख हसीना इस समय भारत में शरण लिए हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच बांग्लादेश में करीब 1,400 लोग मारे गए थे। सैकड़ों लोग पांच अगस्त को हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद हुई हिंसा में मारे गए थे। तख्तापलट के बाद मारे गए लोगों में बड़ी संख्या हिंदू अल्पसंख्यकों और अवामी लीग के कार्यकर्ताओं की थी।

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