
आज यानी 19 मई को सोमवार का व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही जल्द विवाह के योग बनते हैं। सोमवार के दिन कई शुभ-अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं कि आज का पंचांग।
तिथि: कृष्ण पक्ष की षष्ठी प्रात: 06:11 तक है। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू होगी।
योग: शुक्ल प्रात: 05:53 बजे तक, फिर ब्रह्म प्रात: 04:36 बजे तक, 20 मई
करण: वनिज प्रात: 06:11 बजे तक, विष्टि शाम 06:05 बजे तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय : सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर
सूर्यास्त : शाम 07 बजकर 07 मिनट पर
चंद्रोदय : 20 मई को रात 12 बजकर 45 मिनट पर
चन्द्रास्त : सुबह 10 बजकर 51 मिनट पर
राशि : मकर
शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: दोपहर 02:00 बजे से दोपहर 03 बजकर 43 मिनट तक
यमगंडा: प्रात: 10 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
राहु काल: प्रात: 07 बजकर 11 मिनट से प्रात: 08 बजकर 53 मिनट तक
दिन के विशेष अशुभ समय खंड: एक सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर दिन में कुछ विशेष समय खंड जैसे राहुकाल, यमगंड और भद्राकाल को अशुभ माना जाता है, जिनमें कोई नया या महत्वपूर्ण कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
राहु काल
यह समय राहु देव से संबंधित माना जाता है, जो ज्योतिष में भ्रम, अनिश्चितता, और अप्रत्याशित घटनाओं के प्रतीक हैं। इसलिए राहुकाल को अशुभ माना गया है और इस दौरान कोई भी नया कार्य, यात्रा, निवेश या महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। यह काल मानसिक अशांति या असफलता का कारण बन सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक होती है। हालांकि, यह समय आत्मचिंतन, ध्यान, मंत्र जप, और आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिससे व्यक्ति को आंतरिक शांति और राहु की अनुकूलता प्राप्त हो सकती है।
यम गण्ड
यह समय यम देव से संबंधित होता है, जो मृत्यु और नियति के देवता माने जाते हैं। यमगंड काल को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है, इसलिए इस समय में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत या यात्रा करना उचित नहीं होता। यह समय अच्छे परिणाम देने के बजाय समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, यमगंड काल का उपयोग आत्मनियंत्रण, संयम, और धैर्य की साधना के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह समय मानसिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण बढ़ाने के लिए उपयुक्त होता है।
गुलिक काल
यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित होता है और कुछ परंपराओं में इसे निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ज्योतिष ग्रंथों में इस समय को दीर्घकालिक कार्यों, जैसे किसी बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत, या आध्यात्मिक अभ्यास, साधना और साधारण कार्यों के लिए उपयुक्त बताया गया है। इस समय में कार्यों में बाधाएं कम होती हैं और यह दीर्घकालिक सफलता का रास्ता खोल सकता है।
ये समय खंड किसी भय या अशुभता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि एक ऊर्जात्मक सावधानी (जब ऊर्जा थोड़ी अनियमित या अशांत हो सकती है) का संकेत देते हैं। यदि आप कोई विशेष या शुभ कार्य आरंभ करना चाहें, तो इन समयों को टालना बेहतर हो सकता है, लेकिन ये किसी भी रूप में बाधक नहीं हैं। सर्व समर्थ ईश्वर का नाम सभी कालों से सर्वोपरि है।
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेंगे
श्रवण नक्षत्र: शाम 07:29 बजे तक
सामान्य विशेषताएं: उच्च बौद्धिक क्षमता, शालीन व्यवहार, अधिक सुनने वाले और कम बोलने वाले, विनम्र व झिझक से भरे, सावधान और सतर्क, थोड़े निराशावादी, शिक्षा की ओर झुकाव
नक्षत्र स्वामी: चंद्रमा
राशि स्वामी: शनि
देवता: विष्णु (रक्षक)
प्रतीक: कान