उत्तर प्रदेश

सीएम योगी: व्यापक जनसहभागिता से एक दिन में 36.50 करोड़ पौधरोपण का बना नया कीर्तिमान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि व्यापक जनसहभागिता से राज्य में एक दिन में 36.50 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य हासिल कर नया कीर्तिमान रचा गया है। मुख्यमंत्री ने गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ आह्वान को समर्पित पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ वृक्षारोपण जन अभियान-2024 के अवसर पर पारिजात के पौधे का रोपण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज उत्तर प्रदेश ने 36.50 करोड़ पौधारोपण कर कीर्तिमान बनाया है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ के क्रम में लगभग हर मातृ शक्ति के नाम तीन-तीन पेड़ लगाने का कार्य अकेले उत्तर प्रदेश कर रहा है।”

सीएम योगी ने दी बधाई
मुख्यमंत्री ने इस नए रिकॉर्ड के लिए सभी प्रदेशवासियों को बधाई दी है। आदित्यनाथ ने कहा कि विगत सात वर्षों में प्रदेश सरकार 168 करोड़ वृक्षारोपण का नया रिकॉर्ड बना चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘168 करोड़ पौधारोपण राज्य सरकार ने जनसहभागिता और प्रदेश के विभिन्न विभागों के माध्यम से किया था। जो पेड़ लगाए गए, उसमें से 75 से 80 प्रतिशत पेड़ आज भी सुरक्षित हैं।” इसके पहले, लखनऊ में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर देशवासियों से ‘एक पेड़ मां के नाम लगाने’ का आह्वान किया था। उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरणविद चिंतित हैं कि धरती के तापमान में वृद्धि सृष्टि के लिए नया संकट खड़ा करने जा रही है। यह संकट मनुष्य के स्वार्थ का नतीजा है, इसलिए इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी मनुष्य पर ही होनी चाहिए।”

यह भारत की नदी संस्कृति को बचाने का माध्यम बनेगाः योगी
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में पौधारोपण महाअभियान के तहत ‘एक पेड़ मां के नाम लगाने’ का गौरव लगभग हर परिवार को मिलने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 25 करोड़ है और हम 36.50 करोड़ पौधे लगाकर रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं। हम आज (शनिवार) एक दिन के भीतर प्रदेश में हर मातृशक्ति के नाम पर तीन-तीन पेड़ लगाने जा रहे हैं। हमें पौधों को लगाना, बचाना और इसके जरिये पर्यावरण को संरक्षित करना है। योगी ने कहा, ‘‘मैंने हरिशंकरी (पौधा) भी लगाया है। इसके दूसरी तरफ शक्ति वन बनाया जा रहा है। यह भारत की नदी संस्कृति को बचाने का माध्यम बनेगा। यह हमें ‘एक पेड़ मां के नाम’ के साथ एक नई ताकत प्रदान करने में मार्गदर्शन करेगा।”

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