सालाना 78 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत, किन क्षेत्रों में बनेंगे मौके?

भारत की मौजूदा वर्क फोर्स करीब 56.5 करोड़ हैं। इनमें सबसे अधिक कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं, करीब 45 फीसदी। वहीं, सर्विसेज सेक्टर में 28.9 प्रतिशत, 13.0 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन और 11.4 प्रतिशत लोग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काम कर रहे हैं। यह जानकरी आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से मिली है, जिसे वित्त मंत्रालय ने जारी किया है।
वर्क फोर्स में बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी
आर्थिक सर्वे के मुताबिक, पिछले छह साल में भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी बढ़ रही है। बेरोजगारी दर में गिरावट आ रही है, जो 2022-23 में घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई। यह सर्वे बताता है कि शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में रोजगार महामारी के झटकों से उबर गया है।
इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, “महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर छह वर्षों से बढ़ रही है। यह 2017-18 में 23.3 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में 37 प्रतिशत हो गई है। इसमें खासकर ग्रामीण महिलाओं का योगदान है, जिनकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।’
सालाना 78.51 लाख नौकरियों की जरूरत
सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर काफी जोर है। लेकिन, आर्थिक सर्वे बताता है कि सेवा क्षेत्र रोजगार के काफी ज्यादा अवसर पैदा कर रहा है। वहीं, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार के मौके तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत की आबादी तेजी से बढ़ती आबादी के बीच रोजगार की मांग भी बढ़ रही है।
आर्थिक सर्वे का कहना है कि रोजगार क्षेत्र की मांग पूरी करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना लगभग 78.51 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। पिछले पांच वर्षों में ईपीएफओ के तहत शुद्ध पेरोल में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है, जो औपचारिक रोजगार में स्वस्थ वृद्धि का संकेत है।
किन सेक्टर में पैदा होंगे रोजगार के मौके
आर्थिक सर्वे ने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी चुनौतियों पर भी बात की। इसके मुताबिक, कई क्षेत्रों में एआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है और इसका सीधा असर नौकरियों पर भी पड़ेगा। आर्थिक सर्वे ने सुझाव दिया कि कंपनियों प्रौद्योगिकी और श्रम को संतुलित करना चाहिए।
आर्थिक सर्वे का मानना है कि आगे चलकर एग्रो-प्रोसेसिंग और केयर इकोनॉमी में रोजगार के अधिक मौके बनेंगे और यह नौकरियों के लिहाज से सुरक्षित क्षेत्र भी हो सकता है।