विपक्ष हंगामा और हाहाकार के जरिए संसद की कार्यवाही को हाईजैक करने में लगी रही : नकवी

नई दिल्ली। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर विपक्ष द्वारा संसद में हंगामा करने और यूपी के संभल की घटना पर प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक ही संकल्प रहा है कि जो भी तमाम मुद्दे हैं, उस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। विपक्ष के सभी सांसदों की भी इसमें भागीदारी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि विपक्ष विशेष कर कांग्रेस पार्टी चर्चा की जगह संसद की कार्यवाही बाधित करने में लगी रही। वह हंगामा और हाहाकार के जरिए संसद की कार्यवाही को हाईजैक करने में लगी रही। लगातार उनका यह क्रम चलता रहा। इसी का नतीजा है कि आज वह सिमटते और सिकुड़ते जा रहे हैं। अगर आपके पास मुद्दे हैं, आप डिबेट और चर्चा चाहते हैं तो सरकार उस पर डिबेट और चर्चा हमेशा कराती है मगर आपके पास कुछ बचा नहीं इसलिए आप बाधित करने में लगे रहते हो।

यूपी के संभल की घटना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस प्रकार के सांप्रदायिक आफत को सद्भाव की ताकत से ध्वस्त करना होगा। हमें इस तरह के संवेदनशील दंगों पर जश्न मनाने की जगह संवेदनशील जख्म को महसूस करना होगा। कुछ लोगों को दंगों पर साम्प्रदायिक जश्न मनाने की जगह संवेदनशील जख्म को महसूस करना होगा। कुछ लोग इस तरह के दंगों पर सियासी और साम्प्रदायिक जश्न मनाते हैं, वो समाज के दुश्मन होते हैं और अपने भी दुश्मन हैं। यह इंसानियत को शर्मसार और लहूलुहान करने वाली घटनाएं हैं, उसकी पुनरावृत्ति रुकनी चाहिए। जो लोग इन घटनाओं में शामिल हैं, इस घटना को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस घटना में शामिल हैं, उसको बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। वह समाज के दुश्मन हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियों ने ये कहना शुरू कर दिया है, ये दंगा भाजपा करवा रही है। जब दंगों और नरसंहार का इतिहास निकाला जाएगा। आपको बहुत शर्मिंदगी होगी। कई दशकों तक कांग्रेस पार्टी ने देश में राज किया हो। जिनके राज में बड़े सांप्रादियक दंगे हुए हो। हजारों की संख्या में लोगों का कत्लेआम किया गया। चाहे भागलपुर, भिवंड़ी, अलीगढ़, 1984 का दिल्ली दंगा रहा हो। दंगों को किसी भी तरह से न्यायोचित ठहराया नहीं जा सकता है। इसमें सरकार, प्रशासन, सियासी पार्टियों की जिम्मेदारी है, ऐसे लोगों के हौसले पस्त किए जाएं।

 

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