भारतीय शेयर बाजार हुआ धड़ाम, निवेशकों के डूबे 9 लाख करोड़ रुपये

बाजार में गिरावट का नेतृत्व मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने किया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,467 अंक या 2.75 प्रतिशत की गिरावट के साथ 51,795 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 651 अंक या 3.84 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,304 पर था।

भारी गिरावट के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केट कैप करीब 9 लाख करोड़ रुपये गिरकर 410 लाख करोड़ रुपये रह गया है।

बाजार के करीब सभी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। ऑटी, ऑटो, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी इंडेक्स में सबसे अधिक गिरावट थी।

बाजार का रुझान भी नकारात्मक था। पर 3,519 शेयर लाल निशान में, 597 शेयर हरे निशान में और 118 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए।

सेंसेक्स पैक में आईसीआईसीआई बैंक, एचयूएल, एमएंडएम, एसबीआई, मारुति सुजुकी और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। एचसीएल टेक, जोमैटो, टेक महिंद्रा, पावर ग्रिड, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, टाइटन, भारती एयरटेल और बजाज फाइनेंस टॉप लूजर्स थे।

बाजार में गिरावट की वजह ट्रंप की अस्पष्ट व्यापारिक नीतियों को माना जा रहा है। हाल ही में अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद अनिश्चितता बढ़ी है।

बाजार के जानकारों ने कहना है कि गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहे प्रवासियों को कोलंबिया में डिपोर्ट करने से रोकने के जवाब में लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ चिंता पैदा करते हैं। ट्रंप एक फरवरी से कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप चीन और अन्य देशों पर भी सख्त टैरिफ लागू करेंगे। इसे लेकर बाजार में चिंताएं पैदा हो रही हैं।

भारतीय बाजारों के गिरने की एक वजह वैश्विक बाजार में कमजोरी का होना है। अमेरिकी बाजारों में कमजोरी देखी जा रही है। इसकी वजह चीन के कम लागत वाले एआई मॉडल डीपसीक के आने से दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां जैसे एनवीडिया, ओपनएआई और गूगल का बिजनेस मॉडल प्रभावित होने की संभावना है।

 

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