आरबीआई ने कर्ज किया सस्ता, जानिए रियल एस्टेट के किस सेगमेंट सबसे ज्यादा बढ़ेगी मांग

रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की है। इस बार रेपो रेट 0.5 प्रतिशत घटाया गया है। इस तरह फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट एक प्रतिशत कम हो चुका है। उम्मीद की जा रही है कि बैंक कर्ज पर ब्याज की दर में भी इतनी कटौती करेंगे। इसका सबसे ज्यादा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होगा। स्टील और सीमेंट समेत करीब 200 सेक्टर रियल एस्टेट से जुड़े होते हैं, इसलिए रियल एस्टेट को बूस्ट मिलने पर पूरी इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।

अफॉर्डेबल और मध्य आय वर्ग हाउसिंग सेगमेंट में बढ़ेगी मांग
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, उम्मीद के मुताबिक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.5 प्रतिशत घटकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है। महंगाई में हाल के महीनों में गिरावट की वजह से आरबीआई ने यह कदम उठाया है। इससे कर्ज सस्ता होगा, होम लोन की ईएमआई घटेगी और कुल मिलाकर घर खरीदारों की अफॉर्डेबिलिटी बेहतर होगी। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है, खासकर अफॉर्डेबल और मध्य आय वर्ग वाले सेगमेंट में। महामारी के बाद अफॉर्डेबल हाउसिंग सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थी। देश के सात बड़े शहरों में इनकी बिक्री और नई लॉन्चिंग घट गई थी।

एनारॉक के आंकड़े बताते हैं कि कुल घरों की बिक्री में अफॉर्डेबल हाउसिंग का हिस्सा 2019 में 38% था, यह 2024 में घटकर 18% रह गया। इनकी सप्लाई भी 40% से घटकर 16% रह गई। उम्मीद की जानी चाहिए कि रेपो रेट में इस कटौती का पूरा फायदा बैंक ग्राहकों को देंगे। इससे ग्राहकों के साथ-साथ डेवलपर्स के लिए भी कर्ज सस्ता होगा।

डेवलपर्स को समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद
कैश रिजर्व रेशियो (CRR) घटाए जाने से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम उपलब्ध होगी। रियल एस्टेट के नजरिए से देखें तो डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट के लिए अधिक पूंजी मिल सकती है। उन्हें समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद मिलेगी।

लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर वैश्विक अनिश्चतता का अस
हालांकि इन तमाम सकारात्मक कदमों के बावजूद वैश्विक स्तर पर व्यापार में जो तनाव बरकरार है और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से जो टैरिफ लगाए गए हैं, उससे इंपोर्टेड कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के दाम बढ़े हैं। साथ ही आर्थिक अनिश्चितता भी बनी है। लग्जरी और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर इसका कुछ असर दिख सकता है। इस सेगमेंट में डेवलपर का मार्जिन भी कम होने के आसार हैं।

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