बड़े-बड़े नाम भी तस्करी में शामिल, अवैध नशा मुक्ति केंद्र उठा रहे फायदा

साल 2013 में जब बठिंडा के राइके कलां गांव के अर्जुन अवॉर्डी पहलवान और पंजाब पुलिस के डीएसपी जगदीश भोला को 6 हजार करोड़ रुपये का ड्रग रैकेट चलाने के आरोप में पकड़ा गया, तो हर कोई हैरान गया। इस वक्त तक पंजाब के गांव-गांव में नशा फैल चुका था, लेकिन ड्रग रैकेट के सामने आते ही नशे का मुद्दा आम आदमी की जुबान पर आ गया।

स्पेशल टास्क फोर्स का गठन हुआ। पुलिस ने शिकंजा कसा, तो इस रैकेट की परतें खुलने लगीं और कई बड़े नाम सामने आए। राजनेताओं के भाषण में भी नशे का मुद्दा गूंजने लगा। मंचों से नशे को खत्म करने की कसमें खाई जाने लगीं, लेकिन आज 12 साल बाद भी तस्वीर में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।

31 मई को पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पंजाब में नशे के खिलाफ जंग जारी रहेगी। नशे पर अंकुश लगाया जा रहा है, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म करने में समय लगेगा। जाहिर सी बात है कि सरकार के दावों, प्रयासों और जमीनी हकीकत को सामने रख कर देखें तो नशामुक्ति की राह में कई चुनौतियां पहाड़ बन कर खड़ी दिखती हैं, जिससे यह राह कतई आसान नहीं लगती।

पंजाब में नशा
2.5 लाख नशा करने वाले मरीज पंजीकृत हैं अभी राज्य में
16.5 लाख मरीज उपचार के लिए आ रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर
208 नशा छुड़ाओ केंद्र हैं पंजाब में, इनमें 170 से अधिक प्राइवेट
500 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं बीते तीन साल में पंजाब में नशे के कारण
02 से तीन गुना मरीज रखे जा रहे नशा छुड़ाओ केंद्रों की क्षमता के मुकाबले

मुक्तसर के गांव का जसविंदर सिंह एक दिन अचानक लापता हो गया। वह नशे का आदी था, इसलिए परिवार चिंतित हो उठा। बड़े भाई मनजिंदर सिंह ने तलाश शुरू की तो पता चला कि वह एक नशा छुड़ाओ केंद्र में पहुंच चुका है। किसी तरह नशा छुड़ाओ केंद्र के संचालक का फोन नंबर लिया, लेकिन उसने भाई से बात नहीं करवाई। उसने पुलिस को सूचित किया। इसी साल 27 मार्च को पुलिस ने रेड की तो भाई जसविंदर उसी केंद्र में मिला।
मनजिंदर ने राहत की सांस ली और कहा- मैं भाग्यशाली हूं कि भाई सही सलामत मिला। वरना नशे के कारण मारे जाने वाले युवाओं की कहानी सुनकर तो एक बार के लिए बुरी तरह डर गया था।

यह नशा छुड़ाओ केंद्र अवैध रूप से चल रहा था। इसके संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। मनजिंदर अब घर पर ही भाई का इलाज करवा रहे हैं। पंजाब में करीब 208 नशा छुड़ाओ केंद्र चल रहे हैं। इनमें से 170 से ज्यादा प्राइवेट हैं। 16 सेंटर जेलों में चल रहे है। राज्य में अभी 2.5 लाख नशा करने वाले मरीज पंजीकृत हैं। 16.5 लाख मरीज उपचार के लिए नशा मुक्ति केंद्रों पर आ रहे हैं।

चिंता की बात यह है कि पंजाब के नशा मुक्ति केंद्रों में क्षमता से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को नशा मुक्ति केंद्रों में रखने की जगह नहीं मिल रही। एनडीपीएस एक्ट में केस दर्ज करने के बावजूद आरोपियों की जमानत पर रिहा करना पड़ रहा है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 के अनुसार नशा करने वालों को एक साल तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन उन्हें सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में भेजा जा रहा है।

लुधियाना के थाना सुधार की पुलिस ने हाल ही में गांव घुमाण के श्मशानघाट के सामने कार में चिट्टे का सेवन कर रहे तीन युवकों को गुरजीवन सिंह को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया था। अदालत में पेश करने के बाद जब उन्हें जगरांव के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाने गए तो वहां जगह न होने के कारण उन्हें लौटा दिया गया।

अवैध नशा छुड़ाओ केंद्र का जाल: न डॉक्टर न स्टाफ, फीस 30 हजार से 1 लाख तक
पंजाब अवैध रूप से चल रहे नशा छुड़ाओ केंद्रों की संख्या सैकड़ों में है। आए दिन पुलिस की कार्रवाई में नशा छुड़ाओ केंद्रों के मामले सामने आते रहते हैं। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की एक जांच रिपोर्ट के अनुसार सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में जहां दवा मुफ्त दी जाती है, वहीं निजी केंद्रों में इसके 40 से 400 रुपये प्रति टैबलेट लिए जा रहे हैं। इन केंद्रों में 30 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक फीस ली जाती है।

-25 मार्च को अबोहर के सुभाष नगर में अवैध नशा मुक्ति केंद्र पकड़ा गया। इस केंद्र मे 30 से 35 युवा थे।
-13 मई को जालंधर पुलिस ने शाहकोट क्षेत्र में दो अवैध नशा मुक्ति केंद्रों पर छापा मारा और 76 लोगों को बचाया।
-25 अप्रैल को अवैध नशा छुड़ाओ केंद्र से 107 युवकों को छुड़ाया गय। गांव समरावां में बने सेंटर में 45 लोगों को रखने की जगह थी, लेकिन 100 से ज्यादा को भर्ती किया गया था।
-2 जनवरी को नशा छुड़ाने की दवाओं का दुरुपयोग करने पर विजिलेंस ब्यूरो ने नशा मुक्ति केंद्र के डॉ. अमित बांसल गिरफ्तार किया। डॉ. अमित पंजाब में करीब 22 नशा मुक्ति केंद्र चला रहे हैं।

जमीन पर लिटाते थे और हर रोज मारते थे
-जालंधर में जंडियाला के पास गांव समरावां में अवैध नशा छुड़ाओ केंद्र से सिविल अस्पताल पहुंचे पीड़ितों ने बताया कि सेंटर में उनके साथ हर रोज मारपीट की जाती थी और जमीन पर लिटाया जाता था। युवक ने कहा कि वो 16 दिन से वहां दाखिल था। वह नशा छोड़ना चाहता था। बाद में पता चला कि नशा छुड़ाओ केंद्र के पास कोई दस्तावेज नहीं था।

-गांव मेहसमपुर के रहने वाले एक युवक ने बताया कि वह कनाडा से आया था। एक व्यक्ति ने खुद को सीआईए स्टाफ का कर्मचारी बताया और उसे सेंटर में भर्ती करवा दिया। वहां हालात बहुत खराब थे। उन्होंने गुंडे रखे थे, जो रोज मारपीट करते थे।

-सिविल अस्पताल में मनोचिकित्सक विभाग के डॉ. अभयराज सिंह ने बताया कि सेंटर पर ऐसे भी मरीज मिले हैं, जिनकी कोई दवा भी नहीं चल रही थी। इन सभी मरीजों को सिविल अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग में इलाज के लिए लाया गया।

पंजाब सरकार 300 नए केंद्र खोलने की तैयारी, 10 किलोमीटर के दायरे में होगी सुविधा
पंजाब सरकार राज्य में नशा मुक्ति केंद्रों के बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी। 10 किलोमीटर के दायरे में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया जाएगा। प्रदेश में कुल 300 केंद्र और खोले जाएंगे।
-मार्च 2025 में जारी बजट में नशे की मरीजों की सही संख्या पता लगाने के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

युद्ध नशे के विरुद्ध: तीन महीने में 8344 मामले दर्ज, 14734 तस्कर गिरफ्तार
-पंजाब पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बीते तीन महीने में 8344 मामले दर्ज किए हैं। वहीं, 14734 नशा तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया है।
-पंजाब के डीजीपी गौरव यादव के अनुसार एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक एआई संचालित डाटाबेस तैयार किया जा रहा है।
-पंजाब पुलिस ने बॉर्डर एरिया में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये आने वाली ड्रग्स को पकड़ने के लिए 9 एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने की शुरुआत कर दी है। पंजाब सरकार ने जेलों के नवीनीकरण के लिए 500 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है, जिसके अंतर्गत हरेक जेल में नशा मुक्ति केंद्र होगा।

586 किलोग्राम हेरोइन जब्त, 104 संपत्तियों पर चला बुलडोजर
-नशे के विरुद्ध मुहिम के तहत 586 किलोग्राम हेरोइन, 247 किलोग्राम अफ़ीम, 14 टन भुक्की, 9 किलोग्राम चरस, 253 किलोग्राम गांजा, 2.5 किलोग्राम आइस, 1.6 किलोग्राम कोकीन, 25.70 लाख नशीली गोलियां/कैप्सूल और 10.76 करोड़ रुपए की ड्रग मनी पकड़ी गई।
-144 नशा तस्करों की 74.27 करोड़ रुपये की गैर कानूनी ढंग के साथ हासिल की जायदादों को जब्त किया गया। नशा तस्करों की 104 गैरकानूनी संपत्तियों को तोड़ दिया गया।
-48 बड़े हवाला संचालकों की गिरफ्तारी से हवाला नेटवर्क को नष्ट किया गया। थोड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए 1121 व्यक्तियों को नशा मुक्ति और पुनर्वास के लिए भेजा गया।
-5,786 नशा पीड़ितों को इलाज के लिए नशा छुड़ाओ केंद्रों में भी ले जाया गया , जबकि 6483 नशा पीड़ितों को पुलिस ने ओओएटी केंद्रों से इलाज करवाने के लिए प्रेरित किया।

नियमित जांच हो तो बंद हो सकते हैं अवैध नशा छुड़ाओ केंद्र
नशा छुड़ाओ केंद्रों पर ज्यादा सुविधाएं दी जाएं और नियमित जांच हो, तो अवैध नशा छुड़ाओ केंद्र बंद हो सकते हैं। सरकार की मुहिम से फर्क तो पड़ा है, लेकिन मरीज दूसरा तरीका ढूंढ लेते हैं। कई बार परिवार भी सहयोग नहीं करता। इसका इलाज लंबा चलत है। परिवार तत्काल रिजल्ट चाहते हैं। एक मरीज पर एक माह में 15 से 20 हजार रुपये का खर्च आता है। पंजाब में नशे की चेन को तोड़ने के लिए लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। समाज में सबको साथ चलना होगा। -सुखविंदर सिंह, नशा छुड़ाओ केंद्र संचालक (अमृतसर)

लगता है किसी ने हाईकोर्ट की गाइडलाइंस पढ़ी ही नहीं
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 2013 में ड्रग रैकेट पर शिकंजा कसने के लिए गाइडलाइंस जारी की थी। जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया था कि पंजाब में नशा कैसे कंट्रोल कर सकते हैं, लेकिन लगता है किसी ने ये गाइडलाइंस पढ़ी ही नहीं। अगर इन्हें ठीक ढंग से लागू किया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। 2013 में मैंने 6 हजार करोड़ के ड्रग रैकेट का दावा किया था। अब यह कई हजार करोड़ हो चुका होगा। गुजरात में हाल ही में करोड़ों रुपये की ड्रग्स पकड़ी गईं। बर्मा बॉर्डर से भी ड्रग्स आ रही हैं। नशा मुक्ति केंद्रों की मॉनीटरिंग की जरूरत है। इन पर कोई स्टडी ही नहीं हुई। इसके असर पर सर्वे होना चाहिए। यह लड़ाई पूरे समाज को लड़नी होगी। -शशिकांत, पूर्व डीजीपी, पंजाब

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