
कोहरा काल बनकर आया और हेलिकॉप्टर के गिरते ही कुछ समय में साफ हो गया, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था। हमसे बस बीस मीटर की दूरी पर हेलिकॉप्टर गिरा, जो आग से धू-धूकर जल रहा था। हमने घटना के बारे में ठेकेदार को बताया तो उसने अन्य को बताया होगा। यह शब्द अपनी आंखों से हेलिकॉप्टर को क्रैश होता देख चुकीं नेपाली मूल की शर्मिला और उसकी बहन संजू के हैं।
गौरीकुंड में रहने वालीं दोनों महिलाएं अन्य स्थानीय महिलाओं के साथ रविवार को सुबह 4 बजे गौरी माई खर्क के लिए निकल गईं थी। वह केदारनाथ यात्रा में संचालित घोड़ा-खच्चरों के लिए घास काटने का काम करती हैं।
शर्मिला ने बताया कि वह 5 बजे तक गौरी माई खर्क पहुंच गईं थीं, तब आसमान में बादल छाये हुए थे, पर कोहरा नहीं था। दूर-दूर तक साफ नजर आ रहा था। कुछ ही देर में एक हेलिकॉप्टर जैसे ही उस क्षेत्र में उड़ान भरता हुआ पहुंचा, अचानक घना कोहरा छा गया।
कोहरे की वजह से हेलिकॉप्टर थोड़ा मुड़ा और पीछे की तरफ गया और फिर थोड़ा नीचे आकर आगे बढ़ने लगा, जिससे वह एक ऊंचे पेड़ पर टकराकर सीधे जमीन पर गिर गया। हेलिकॉप्टर के नीचे गिरते ही उसमें आग लग गई। आग की लपटें इतनी भयावह थीं कि वह धू-धूकर जलने लगा।
शर्मिला ने बताया कि जब हम मौके के आसपास पहुंचे तो वहां एक बच्ची गिरी हुई थी, जो जिंदा नहीं थी। संभवत: बच्ची हेलिकॉप्टर से गिरकर जमीन में बड़े पत्थर से टकरा गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
हादसा इतना भयावह था कि आग की लपटों के बीच से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। दोनों महिलाओं ने घटना की जानकारी फोन पर ठेकेदार को दी। इसके बाद ठेकेदार ने अन्य लोगों के माध्यम से जिला आपदा कंट्रोल रूम को सूचना दी।