कांवड़ यात्रा रूट में ढाबों पर QR कोड लगाने के आदेश को SC में चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल हुई है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग में भोजनालयों पर क्यूआर कोड लगाने के आदेश को चुनौती दी गई है। दाखिल अर्जी में क्यूआर कोड लगाने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि क्यूआर कोड के आदेश के पीछे उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर विक्रेताओं की पहचान उजागर करना है।

इस अर्जी पर कोर्ट 15 जुलाई को सुनवाई कर सकता है। दाखिल अर्जी में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के उन निर्देशों को चुनौती दी गई है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग के भोजन विक्रेताओं को अपने बैनर के साथ क्यूआर कोड प्रदर्शित करने को कहा गया है जिसमें तीर्थ यात्री दुकान मालिक का ब्योरा जान सकेंगे।

दायर की गई याचिका में क्या कहा गया?
अर्जी में क्यूआर को कोड प्रदर्शित करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। कहा गया है कि क्यूआर कोड लगाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के अंतरिम आदेश के खिलाफ है जिसमें कहा गया था कि विक्रेताओं को उनकी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

अर्जी में कहा गया है कि न्यायालय का आदेश को दरकिनार करने के लिए ही अधिकारियों ने इस साल नये निर्देश जारी किये हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया है जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है। इस निर्देश के पीछे उद्देश्य तीर्थ यात्रा मार्ग पर विक्रेताओं की धार्मिक पहचान को उजागर करना है।

याचिका में दी गई ये दलील
अर्जीकर्ता का कहना है कि सरकारी निर्देशों का कोई कानूनी आधार नहीं है। इसका उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करना है। अर्जी में आशंका जताई गई है कि इससे भीड़ हिंसा भड़क सकती है, खासकर अल्पसंख्यक वर्ग के दुकानदारों के खिलाफ हिंसा भड़क सकती है। अर्जी में कहा गया है कि कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं की आड़ में धार्मिक और जातिगत पहचान उजागर करने का निर्देश निजता के अधिकारों का उल्लंघन है।

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