उत्तराखंड

उत्तराखंड: हाईकोर्ट सख्त, सरकारी भूमि को बेचने के मामले में सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल हाईकोर्ट ने रामनगर के भवानीगंज की सरकारी भूमि को बेचने के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सरकार सहित अन्य को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं साथ ही कोर्ट ने विपक्षीगणों को नाटिस जारी किया है।

मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार रामनगर के बम्बाघेर निवासी अजय कुमार अग्रवाल ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजा था। जिसका खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि नगर पालिका और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के कारण रामनगर के भवानीगंज स्थित बेशकीमती 4.15 बीघा नजूल भूमि को 1.35 करोड़ रूपये में संगीता अग्रवाल पत्नी राजीव कुमार अग्रवाल को बेच दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि वर्ष 1960 में इस भूमि की लीज खत्म हो गयी थी। तब यह भूमि आनंद प्रिय के नाम पर थी। वर्ष 2014 में नगर पालिका ने इस भूमि को अवैध तरीके से चंद्रशेखर, देवेंद्र और रतीश पलड़िया के नाम पर पंजीकृत कर दिया। इसके बाद वर्ष 2015 में इन लोगों ने इस भूमि को श्रीमती अग्रवाल को बेच दिया। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि वर्ष 2009 में शहरी विकास विभाग और जिलाधिकारी नैनीताल की ओर से इस भूमि को हस्तांतरित नहीं करने के लिए बकायदा निर्देश दिये गये थे।

इसके बावजूद नगर पालिका ने इस भूमि को नियमों पर ताक पर रख कर पहले नाम परिवर्तन किया और इसके बाद रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से भी नियमों को ताक पर रख कर संगीता अग्रवाल के पक्ष में किया गया। यही नहीं वर्ष 2016 में रामनगर नगर पालिका ने इस भूमि का दाखिल खारिज भी संगीता अग्रवाल के नाम पर कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि तहसीलदार रामनगर की जांच में अनियमितता की पुष्टि हुई लेकिन दोषियों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस मामले में अधिवक्ता पूरन सिंह रावत को न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त किया गया है।

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