उत्तर प्रदेश

यूपी: बाढ़ से प्रदेश में गईं 17 जानें, नौ लाख पीड़ितों को पहुंची राहत

प्रदेश में बाढ़ की आपदा से अब तक 17 लोग जान गवां चुके हैं। उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। पिछले 25 दिनों में 9,31,629 लोगों को राहत सहायता पहुंचायी गयी है। बाढ़ से क्षतिग्रस्त 2284 मकानों के सापेक्ष 2134 लोगों को निशुल्क आवास दिया गया है। वर्तमान में 26 जिले लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, कुशीनगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सीतापुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बलिया, गोरखपुर, बरेली, आजमगढ़, हरदोई, अयोध्या, बहराइच, बदायूं, फर्रुखाबाद, बस्ती, देवरिया, मऊ, मुरादाबाद, रामपुर, महाराजगंज, उन्नाव, पीलीभीत और श्रावस्ती बाढ़ से प्रभावित हैं।

राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि बाढ़ से करीब 15 लाख से अधिक जनसंख्या प्रभावित है। कुल 15,829 लोगों और 38,894 मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। वहीं 29 मवेशियों की मौत हुई है। सभी पशुपालकों को मुआवजा दिया जा चुका है। वहीं 282 सार्वजनिक संपत्तियां भी बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। बाढ़ से प्रदेश की 3,12,232 हेक्टेयर भूमि प्रभावित है। बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए 1934 नाव और मोटरबोट का संचालन किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 2,21,199 खाद्यान्न पैकेट तथा 8,02,060 लंच पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही 53 लंगर का संचालन किया जा रहा है। मवेशियों के लिए 3492.4 कुंटल से अधिक भूसा वितरित किया गया है। अब तक 1357 बाढ़ शरणालय, 1559 बाढ़ चौकियां और 2278 मेडिकल टीम का गठन किया गया है। वर्तमान में बाढ़ शरणालय में 2731 व्यक्ति निवास कर रहे हैं।

हमें सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा भी करनी चाहिए
हम अगर सरकार की आलोचना करते हैं तो हमें सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा भी करनी चाहिए। ये बातें केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने तेलीबाग स्थिति लोहिया ट्रांजिट हॉस्टल के सभागार में रविवार को अखिल भारतीय लोधा, लोधी, लोध महासभा के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहीं। मंत्री वर्मा ने कहा सरकार पिछड़े समाज के हित के लिए लगातार कार्य कर रही है और इनके हित के लिए प्रतिबद्ध है। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष उत्तम चंद्र लोधी व महामंत्री विजय लोधी द्वारा अधिवेशन में पारित प्रस्तावों का एक ज्ञापन दिया गया। मंत्री को सौंपे ज्ञापन में यूपी और एमपी में मुख्यमंत्री लोधी समाज से व जातीय जनगणना करवाकर उनकी भागीदारी के हिसाब से हक देने की मांग रखी गई। इसके अतिरिक्त विधानपरिषद, निगम, बोर्ड व आयोग में भागीदारी देने की मांग भी की गई है

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