उत्तर प्रदेश

कानपुर : हैलट में खुलेगा बर्न व प्लास्टिक सर्जरी का 50 बेड का नया विभाग

हैलट में बर्न व प्लास्टिक सर्जरी का नया विभाग खुलेगा। इससे जलने के रोगियों को बहुत राहत मिलेगी। विभाग इसी साल से चालू हो जाएगा। विभाग में विशेषज्ञों की सुविधाओं के साथ ही बर्न के रोगियों को इंटेसिव केयर की भी सुविधा मिलेगी। रोगियों को इलाज के लिए लखनऊ, दिल्ली इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन शासन को बर्न वार्ड को विभाग में तब्दील करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि सिविल कार्य 90 फीसदी हो चुका है। विभाग इसी वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगा। हैलट में उच्चीकृत बर्न वार्ड के लिए शासन पहले ही मंजूरी दे चुका है। इसके साथ ही आईसीयू के बेड और वार्ड के बेड बढ़ाने के लिए भी प्रस्ताव दिया गया है। विभाग के लिए जरूरी दूसरी फैकल्टी और प्रशिक्षित स्टाफ भी मांगा जा रहा है। डॉ. काला का कहना है कि स्टाफ और उपकरण मिलने में छह महीने लग सकते हैं।

विभाग के लिए भवन उपलब्ध है। मौजूदा भवन में एक तल और बढ़ा दिया जाएगा। यह प्रशासनिक ब्लाॅक रहेगा। रोगियों की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी तथा ऑक्सीजन थैरेपी की भी व्यवस्था रहेगी। इससे बर्न रोगियों के घाव सूखने में आसानी होगी। डॉ. काला ने बताया कि बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग अभी किसी राजकीय मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। यह पहला कॉलेज होगा, जिसमें विभाग खुलेगा। हैलट में मंडल के अलावा आसपास के 17 जिलों के बर्न रोगी इलाज के लिए आते हैं। साथ ही विभाग में नए विशेषज्ञ भी तैयार होंगे।

नए विभाग की स्थिति
20 बेड- पुरुष
20 बेड- महिला
आईसीयू- छह बेड

विभाग बनने से ये सुविधाएं बढ़ेंगी
– बर्न रोगियों को बेड आसानी से मिलेंगे, बाहर नहीं जाना पड़ेगा
– गंभीर रोगियों को आईसीयू की सुविधा मिलेगी
– बर्न से जुड़ी विभिन्न विशेषज्ञताओं का इलाज मिलेगा
– एक ही छत के नीचे सारा इलाज और विशेषज्ञता थैरेपी मिलेगी
– आईसीयू में वेंटिलेटर युक्त बेड होंगे

अभी इलाज की क्या है हालत
पूरे मंडल में बर्न वार्ड सिर्फ उर्सला में है। यहां आठ बेड हैं जो छह साल से लगातार भरे रहते हैं। बर्न रोगियों की संख्या बढ़ने पर एनबी-2 वार्ड में अलग से छह बेड की व्यवस्था कर दी गई है। जैसे ही बर्न वार्ड में कोई बेड खाली होता है, एनबी-2 के वार्ड से रोगी शिफ्ट कर दिया जाता है। गंभीर रोगी को लखनऊ रेफर करना पड़ता है। उर्सला में कोई प्लास्टिक सर्जन नहीं है। सामान्य सर्जन ही बर्न रोगी देखते हैं।

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