AGR बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश के बाद गिरे स्टॉक

30 अक्तूबर के कारोबारी सत्र में वोडाफोन आइडिया के शेयर 12 फीसदी तक गिर गए हैं। यह गिरावट एजीआर बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश के बाद आई है। शीर्ष अदालत के लिखित फैसले में कहा गया कि मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के कारण यह आदेश केवल वोडाफोन आइडिया से संबंधित है।

टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के शेयरों (Vodafone Idea Shares) में 30 अक्तूबर को 12 फीसदी तक गिर गए। यह गिरावट एजीआर बकाया मामले (Vodafone Idea AGR Dues) में सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश के बाद आई है। हालांकि, निचले स्तरों से रिकवरी के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयर 7 फीसदी तक की गिरावट के साथ 8.73 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं। वोडाआइडिया के साथ अन्य टेलिकॉम शेयर में भी कमजोरी देखने को मिल रही है। इंडस टॉवर्स और भारती एयरटेल के स्टॉक क्रमशः 3 से डेढ़ प्रतिशत तक टूट गए हैं।

27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया के एजीआर बकाया पर पुनर्विचार करने की अनुमति दी थी। लेकिन 29 अक्टूबर को शीर्ष अदालत के लिखित फैसले में कहा गया कि मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के कारण यह आदेश केवल वोडाफोन आइडिया से संबंधित है।

लिखित आदेश में SC ने क्या कहा?

आदेश की प्रति के अनुसार, सरकार को एजीआर मांगों पर पुनर्विचार करने की अनुमति देने वाला सर्वोच्च न्यायालय का आदेश केवल वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर लागू होता है और यह वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए उठाए गए अतिरिक्त एजीआर बकाया तक सीमित है।

सुप्रीम कोर्ट के इस लिखित आदेश के बाद अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह कंपनी को कब, कैसे और कितनी राहत देती है। ऐसे में जब तक कोई ठोस राहत नहीं मिलती, वोडाफोन आइडिया के शेयर पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ने वाला है।

सरकार करेगी लिखित आदेश का अध्ययन

इससे पहले 29 अक्तूबर को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि सरकार को वोडाफोन आइडिया AGR मामले में अभी तक सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश नहीं मिला है और वह कोई भी नीतिगत निर्णय लेने से पहले इसके प्रभावों का आकलन करेगी।

वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया के लिए संभावित राहत उपायों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अध्ययन के बाद ही फैसला करेगा और किसी भी राहत की लिमिट सरकार जरूरी विचार-विमर्श के बाद ही तय करेगी।

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