
दिल्ली के लोग प्रदूषण की दोहरी मार झेल रहे हैं। हालांकि दिल्ली के सात बायोडायवर्सिटी पार्क न केवल शहर की जैव-विविधता को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि लोगों के लिए एक संजीवनी के रूप में भी उभरे हैं। ये पार्क न सिर्फ पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद कर रहे हैं, बल्कि शहरवासियों को प्रकृति के करीब लाकर उनकी सेहत और मानसिक शांति को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
यही नहीं, शहर की किडनी बन पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षित कर रहे हैं। इनकी वजह से जीव जंतुओं के अलावा हरित क्षेत्र में हुई वृद्धि से भूजल स्तर में भी वृद्धि देखने को मिली है। पार्क के आसपास रहने वाले लोग इसे स्वीकार भी करते हैं। वे स्वच्छ सांस ले पा रहे हैं। ऐसे में पूरे दिल्ली के इको-सिस्टम को और बेहतर करने के लिए और जैव विविधता पार्क विकसित करना जरूरी हैं।
दिल्ली में कुल सात बायोडायवर्सिटी पार्क हैं। ये पार्क 921 हेक्टेयर में फैले हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रबंधन केंद्र (सीईएमडीई) की तरफ से ये पार्क विकसित किए गए हैं। इनमें घने जंगल, आर्द्रभूमि, और विभिन्न प्रजातियों के पौधे हैं, जो वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हैं।
ये पार्क वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5 और पीएम 10) का अवशोषण करते हैं। इसके अलावा, शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव को कम करते हैं, जिससे प्रदूषकों का जमाव कम होता है। एक पर्यावरण विशेषज्ञ के अनुसार, सबसे पुराने यमुना जैव विविधता पार्क में तीन लेयर में ऊंचे पेडों, झाड़ियां व घास के मैदान हैं। वैज्ञानिक भाषा में यह विकसित वन हैं, जबकि साल 2000 में यह बंजर भूमि हुआ करती थी। सातों पार्कों में जीव-जंतुओं की 2,500 प्रजातियां भी हैं। इनमें सैकड़ों दुर्लभ और लुप्त प्राय प्रजातियां भी हैं।
करीब 2.02 लाख पेड़ हर साल लगभग 1,253.07 टन कार्बन सोखते
अरावली जैव विविधता पार्क का विस्तार 692 एकड़ में है। पार्क के वैज्ञानिकों व डीयू के बिजनेस इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के शोधार्थियों 2023 की एक स्टडी में पता चला है कि पार्क से मिलने वाली सेवाओं की कीमत करीब 15 करोड़ रुपये बैठती है। अध्ययन में 15-18 साल पुराने वृक्षों को शामिल किया गया। इस उम्र के करीब 2.02 लाख पेड़ हर साल लगभग 1,253.07 टन कार्बन सोख लेते हैं। इसकी कीमत 1.69 करोड़ रुपये है।
वहीं, पहले से इनमें करीब 9,107.90 टन कार्बन जमा है। इसकी कीमत 12.35 करोड़ रुपये है। यही नहीं इनसे सालाना 14.627 टन दूसरे प्रदूषक भी हट जाते हैं। इसकी कीमत 1.84 करोड़ रुपये है। इनसे हर साल करीब 1,10,977 घन फीट भूजल भी रिचार्ज होता है। इसकी कीमत करीब 5.89 लाख रुपये बैठती है। इस लिहाज से अरावली के पेड़ 15 करोड़ रुपये बचा रहे हैं।
जीवनदायिनी हवा को कर रहे साफ
आईआईटी दिल्ली के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में बिखरे हुए प्रदूषण स्रोतों (जैसे कचरा जलाना, धूल) को नियंत्रित करने से पीएम 2.5 में 15-26 फीसदी की कमी आई है। इसमें जैव विविधता पार्क अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देते हैं, खासकर धूल नियंत्रण में। इसके अलावा, थिंक टैंक विज्ञान व पर्यावरण केंद्र (सीएसई) विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में 2024 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 104.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो राष्ट्रीय मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से दोगुना है।
जैव विविधता पार्कों ने स्थानीय स्तर पर इस स्तर को कम करने में मदद की, लेकिन क्षेत्रीय स्रोतों के कारण व्यापक प्रभाव सीमित रहा। वहीं, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अनुसार, यमुना जैव विविधता पार्क में 2000 से अधिक प्रजातियां और आर्द्रभूमियां हवा को शुद्ध करने में मदद करती हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर वायु गुणवत्ता सूचकांक में 10 से 12 फीसदी सुधार देखने को मिला है।
ये हैं पार्क
अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क (280 हेक्टेयर)
यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क (185 हेक्टेयर)
नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क (3.88 हेक्टेयर)
तिलपथ घाटी बायोडायवर्सिटी पार्क (70 हेक्टेयर)
तुगलकाबाद बायोडायवर्सिटी पार्क (81 हेक्टेयर)
नॉर्दर्न रिज बायोडायवर्सिटी पार्क (87 हेक्टेयर)
साउथ दिल्ली बायोडायवर्सिटी पार्क (113.3 हेक्टेयर)
2.02 लाख पेड़ हर साल लगभग 1,253.07 टन कार्बन सोखते हैं
अरावली जैव विविधता पार्क का विस्तार 692 एकड़ में है। पार्क के वैज्ञानिकों व डीयू के बिजनेस इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के शोधार्थियों 2023 की एक स्टडी में पता चला है कि पार्क से मिलने वाली सेवाओं की कीमत करीब 15 करोड़ रुपये बैठती है। अध्ययन में 15-18 साल पुराने वृक्षों को शामिल किया गया। इस उम्र के करीब 2.02 लाख पेड़ हर साल लगभग 1,253.07 टन कार्बन सोख लेते हैं। इसकी कीमत 1.69 करोड़ रुपये है।
वहीं, पहले से इनमें करीब 9,107.90 टन कार्बन जमा है। इसकी कीमत 12.35 करोड़ रुपये है। यही नहीं इनसे सालाना 14.627 टन दूसरे प्रदूषक भी हट जाते हैं। इसकी कीमत 1.84 करोड़ रुपये है। इनसे हर साल करीब 1,10,977 घन फीट भूजल भी रिचार्ज होता है। इसकी कीमत करीब 5.89 लाख रुपये बैठती है। इस लिहाज से अरावली के पेड़ 15 करोड़ रुपये बचा रहे हैं।
जीवनदायिनी हवा को कर रहे साफ
आईआईटी दिल्ली के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में बिखरे हुए प्रदूषण स्रोतों (जैसे कचरा जलाना, धूल) को नियंत्रित करने से पीएम 2.5 में 15-26 फीसदी की कमी आई है। इसमें जैव विविधता पार्क अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देते हैं, खासकर धूल नियंत्रण में। इसके अलावा, थिंक टैंक विज्ञान व पर्यावरण केंद्र (सीएसई) विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में 2024 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 104.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।