
सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनियों बीएसईएस यमुना पावर और बीएसईएस राजधानी पावर को 1 अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले चार वर्षों में रेगुलेटरी एसेट में 21413 करोड़ रुपये की वसूली करने की अनुमति दी है इसके साथ ही 11 साल पुराना यह विवाद समाप्त हो गया है।
पिछले कुछ दिनों से लगातार बुरी खबरों से जूझ रही अनिल अंबानी की कंपनी के लिए अब एक अच्छी खबर आई है। दरअसल, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को सुप्रीम कोर्ट से उसकी सहायक कंपनियों, बीएसईएस यमुना पावर और बीएसईएस राजधानी पावर को अगले चार वर्षों में रेगुलेटरी एसेट में करीब
21,413 करोड़ रुपये की वसूली करने की अनुमति मिल गई है। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने इन परिसंपत्तियों को मंजूरी दी है, और उपभोक्ताओं से वसूली- संभवतः उच्च बिजली दरों के माध्यम से 1 अप्रैल, 2024 से शुरू होगी। 2014 में शुरू हुए इस पूरे मामले के निपटारे में 11 साल लग गए।
यह बकाया राशि पिछले टैरिफ अंतराल से पैदा हुई है, जहां नियामक द्वारा अनुमोदित बिजली की कीमतें आपूर्ति की पूरी लागत को कवर करने में कम पड़ गई थीं।
SC ने अपने आदेश में क्या कहा
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अगस्त के अपने फैसले में, 2014 में दो बीएसईएस वितरण कंपनियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं और सिविल अपीलों का निपटारा कर दिया। याचिकाओं में नॉन-कॉस्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ, रेगुलेटरी एसेट के निर्माण और उनके परिसमापन में देरी को चुनौती दी गई थी।
न्यायालय ने रेगुलेटरी एसेट के मैनेजमेंट के लिए 10 गाइडलाइंस या सूत्र जारी किए हैं, साथ ही पारदर्शिता और समय पर वसूली सुनिश्चित करने के लिए विद्युत नियामकों और विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के लिए 9 स्पष्ट निर्देश भी दिए हैं।
शेयरों में लगातार हावी रही गिरावट
इससे पहले 17000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड मामले में अनिल अंबानी की कंपनियों और सहयोगियों के ठिकानों पर छापे पड़े थे। जांच एजेंसी ईडी ने 5 अगस्त को अनिल अंबानी का बयान भी दर्ज किया था। इस पूरे घटनाक्रम के चलते रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली थी। 8 अगस्त को भी रिलायंस इन्फ्रा के शेयर करीब 3 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए हैं।